सरकारी संपत्ति की सुरक्षाः आंदोलन के नाम पर रेलवे को नुकसान पहुंचाने वालों से होगी सख्ती

टीम भारत दीप |

हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन में कई स्थानों पर रेलवे की संपत्ति को निशाना बनाया गया था।
हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन में कई स्थानों पर रेलवे की संपत्ति को निशाना बनाया गया था।

मालूम हो कि कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर लगभग दो माह तक पंजाब में रेल परिचालन पूरी तरह से ठप रहा था। अब एक बार फिर से 18 फरवरी को रेल रोकने का एलान किया गया है। रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को धारा 150 के तहत आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

नई दिल्ली। देश में हर कोई आंदोलन के नाम पर रेल रोकने पहुंच जाता है। ऐसे लोगों से निपटने के लिए रेलवे अधिकारी धारा 150 के तहत मामला दर्ज कराकर, उम्रकैद की सजा दिलवाने की तैयारी कर रहे है। 
 मालूम हो कि कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर लगभग दो माह तक पंजाब में रेल परिचालन पूरी तरह से ठप रहा था। अब एक बार फिर से 18 फरवरी को रेल रोकने का एलान किया गया है।

 रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को धारा 150 के तहत आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। मालूम हो कि रेलवे नेटवर्क की निगरानी करना आसान नहीं है। ऐसे में आंदोलन कारी अपनी बात मनवाने के लिए रेल रोको को हथियार बनाते है। 

बता दें कि रेल परिचालन में किसी तरह की बाधा डालने वालों के खिलाफ रेलवे अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई का प्रविधान है। धारा 174 के तहत रेलवे ट्रैक पर बैठकर या अवरोधक लगाकर,  रेल के हौजपाइप से छेड़छाड़ करके या सिग्नल को नुकसान पहुंचाकर ट्रेन परिचालन बाधित करने वालों को दो वर्ष की जेल की सजा या दो हजार रुपये जुर्माना या फिर दोनों का प्रविधान है।

रेलवे कर्मचारियों के काम में बाधा डालने, रेल या उसके किसी भाग में अवैध रूप से प्रवेश करने पर धारा 146 व 147 छह माह की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है।

इस विषय में महाप्रबंध उत्तर  रेलवे आशुतोष गंगल का कहना है कि  अमृतसर के जंडियाला गुरु स्टेशन के पास अभी भी प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हुए हैं। जिस वजह से अमृतसर जाने वाली ट्रेनों को तरनतारन के रास्ते चलाया जा रहा है। कई ट्रेनें रद भी हो रही हैं।

इससे पहले हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन में कई स्थानों पर रेलवे की संपत्ति को निशाना बनाया गया था। कई दिनों तक दिल्ली-रोहतक सहित अन्य मार्गों पर रेल परिचालन बंद रखना पड़ा था। आंदोलन के दौरान हुई हिंसा,आगजनी, तोड़फोड़, रास्ता रोकने और रेल परिचालन में बाधा डालने व रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में लगभग तीन सौ मामले दर्ज हुए थे, बाद में 137 केस वापस ले लिए गए थे।

कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पंजाब में प्रदर्शनकारियों ने पिछले वर्ष 24 सितंबर से 24 नवंबर तक रेल परिचालन पूरी तरह से ठप कर दिया था, जिससे उत्तर रेलवे को 25 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है।

वहीं, दशहरा, दिवाली, छठ और नवरात्र के दिनों में लोग सफर नहीं कर सके। माल ढुलाई ठप होने से पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू.कश्मीर के कारोबारियों व किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा।

तीनों राज्य रेल मार्ग से दिल्ली व अन्य शहरों से कट गए थे। रेलवे सुरक्षा बल ने पंजाब में अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रेल परिचालन में बाधा डालने का केस दर्ज किया,लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। किसी को नामजद भी नहीं किया गया।


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