सरकारी Vs प्राइवेटः उसके कत्ल पे मैं भी चुप था मेरा नंबर अब आया, मेरे कत्ल पे आप भी चुप हो...
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हालांकि सोशल मीडिया पर इस बहस के कई रूप दिखाई दे रहे हैं। बैंकर्स के कई सवाल हैं और अब शायद ये सवाल बैंकर्स के न रहकर हर सरकारी कर्मचारी के माने जाने चाहिए।
बैंकिंग डेस्क। केंद्रीय बजट में बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा के बाद पब्लिक सेक्टर बैंक के कर्मियों में शंका का दौर शुरू हो गया है। वित्तमंत्री ने बिना नाम लिए बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की बात कह दी। अभी तक सरकार जिसे डिसइन्वेस्टमेंट पाॅलिसी कहती रही वह खुलकर सरकारी बनाम प्राइवेट के रूप में सामने आ रही है।
इसके लेकर बैंककर्मियों ने धरना-प्रदर्शन के जरिए अपना विरोध दिखाना भी शुरू कर दिया है। बैंकों की कई यूनियन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी भी दी है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस बहस के कई रूप दिखाई दे रहे हैं। बैंकर्स के कई सवाल हैं और अब शायद ये सवाल बैंकर्स के न रहकर हर सरकारी कर्मचारी के माने जाने चाहिए।
इसी में एक मुद्दा जो सबसे प्रमुख उभर कर आ रहा है, वह है प्राइवेटाइजेशन का विरोध। दरअसल वित्तमंत्री के बजट भाषण के बाद मीडिया में दो तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। कुछ विशेषज्ञों ने तो स्माॅल पीएसबी को पहले प्राइवेट करने का तक दिया लेकिन कुछ मीडिया ग्रुप्स ने बैंक आॅफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े बैंकों के प्राइवेट होने की बहस छेड़कर भूचाल ला दिया।
ऐसे में बैंककर्मियों का आह्वान एकजुटता का हो गया है क्योंकि अब स्थिति यह साफ नहीं है कि तलवार किस पर चलेगी। यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन के बैनर तले अनेक जगहों पर बैंक की ब्रांच के सामने धरना प्रदर्शन जारी है। सोशल मीडिया पर चल रही बहस में कहा जा रहा है कि जब आईडीबीआई के प्राइवेट होने की बात हो रही थी तो कहा गया कि हमारा बैंक थोड़े ही प्राइवेट हो रहा है। अब धीरे-धीरे सबका नंबर आने की आशंका है।
डाॅ. नवाज देवबंदी का शेर है कि-
जलते घर को देखने वालो फूस का छप्पर आपका है।
आपके पीछे तेज हवा है आगे मुकद्दर आपका है।
उस के कत्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया,
मेरे कत्ल पे आप भी चुप हैं, अगला नम्बर आपका है।
ऐसे में यदि सभी सरकारी क्षेत्र के बैंककर्मी यदि एकजुट होते हैं तो ही शायद सरकार अपने फैसले पर विचार के बारे में सोचे। वरना अगला नंबर किसी का भी हो सकता है। बैंककर्मियों की यूनियन वी बैंकर्स ने वर्किंग हावर्स के पहले और बाद से अलग अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है।