देश में इस समुदाय के लोग नहीं कर सकते रक्तदान, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

टीम भारत दीप |
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सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि वह इस मुद्दे को समझे बिना आदेश पारित नहीं कर सकता हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे को समझे बिना आदेश पारित नहीं कर सकता हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ब्लड डोनर गाइडलाइंस 2017 की धारा 12 और 51 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया। सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और इससे जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया जिसमें ट्रांसजेंडर्स के रक्तदान करने पर लगाए प्रतिबंध को लेकर सवाल उठाया गया है।

नई दिल्ली। किन्नरों के रक्तदान करने पर लगे प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने सरकार व इससे जुड़े अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ब्लड डोनर गाइडलाइंस 2017 की धारा 12 और 51 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया।

सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और इससे जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया जिसमें ट्रांसजेंडर्स के रक्तदान करने पर लगाए प्रतिबंध को लेकर सवाल उठाया गया है। जानकारी के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने टी संता सिंह द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को यह नोटिस जारी किया है।

बताया गया कि याचिकाकर्ता ने ब्लड डोनर गाइडलाइंस 2017 के दिशा-निर्देशों के मौजूदा नियमों को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का ध्यान इसकी ओर खींचा। जिसमें ट्रांसजेंडर को रक्त दान करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। वहीं इस मामले में सीजेआई बोबडे के मुताबिक,'हम उत्तरदाताओं को नोटिस जारी कर रहे हैं और उनके जवाब का इतंजार करेंगे।'

बताया गया कि सांता सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस जनहित याचिका में ब्लड डोनर दिशा-निर्देश 2017 की धारा 12 और 51 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। वहीं याचिका में इस नियम पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। वहीं CJI बोबडे ने कहा कि यह चिकित्सा का मामला है। हम इन मुद्दों को नहीं समझते हैं।

वहीं केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी कर, इस मुद्दे में विस्तृत जवाब मांगा गया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने फिलवक्त रक्तदाता दिशा-निर्देशों को रोकने से इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मुद्दे को समझे बिना आदेश पारित नहीं कर सकते हैं।


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