बैंककर्मियों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल, इस त्रासदी में भी तबादला करने वाले अफसरों के तबादले की मांग
इस आपात स्थिति में अर्थव्यवस्था को ठप्प होने से बचाए रखने के लिए बैंकों में काम कर रहे बैंककर्मियों में अपनी सुरक्षा लेकर काफी चिन्ताएं हैं। वहीं इस त्रासदी के दौर में अफसरों द्वारा किए जा रहे उनके तबादले के फरमान को लेकर सोशल मीडिया पर हैरानी जताने के साथ ही आक्रोश भी काफी देखने को मिल रहा है।
लखनऊ। कोरोना की त्रासदी ने जीवन के हर पहलू को बुरी तरह प्रभावित किया हैं। आर्थिक मोर्चे पर भी हालात अनर्थ की ओर इशारा कर रहे हैं। स्वास्थ्य के मोर्चे पर की जा रही तैयारियां भी जमीन पर दम तोड़ती दिख रही हैं। जिसके परिणाम के रूप में आए दिन दर्ज किए जा रहे मौत के आंकड़ों ने लोगों को भयाक्रांत कर रखा है।
ऐसे में इस त्रासदी के दौर में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल भी उठ रहे हैं। इसी क्रम में इस आपात स्थिति में अर्थव्यवस्था को ठप्प होने से बचाए रखने के लिए बैंकों में काम कर रहे बैंककर्मियों में अपनी सुरक्षा लेकर काफी चिन्ताएं हैं।
वहीं इस त्रासदी के दौर में अफसरों द्वारा किए जा रहे उनके तबादले के फरमान को लेकर सोशल मीडिया पर हैरानी जताने के साथ ही आक्रोश भी काफी देखने को मिल रहा है। यहां यह मांग भी उठ रही हैं कि बैंकों में तबादले को बंद किया जाए और केवल तबादला करने वाले अफसरों का ही हर हफ्ते तबादला किया जाए।
दरअसल सोशल मीडिया पर जारी आक्रोश के बीच ऐसे फरमानों को लेकर हैरानी भी जताई जा रही है। सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर इस तबाही में जहां जान बचाने की जद्दोजहद हो रही हो, तो ऐसे में बैंकों में तबादले कैसे हो रहे हैं। ऐसा करने वाले अफसर किस तरह की मानसिकता व बुद्धि का परिचय दे रहे हैं।
जहां एक ओर कोरोना के कहर से जनमानस भयाक्रांत हैं। सरकारें कोरोना कर्फ्यू, लॉकडाउन के जरिए कोरोना की रोकथाम में जुटी है। लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। ऐसे में बैंककर्मियों के तबादलों को अफसरों की मर्खूता बताई जा रही है। सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा बढ़ रही है कि यदि इस त्रासदी के दौर में अफसरों द्वारा ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, तो इस पर तत्काल रोक लगाई जाए।
अभी तक किए गए सभी तबादलों को रद्द किया जाए। इस त्रासदी के दौर में जो जहां है, वहीं पर काम करें। साथ ही ऐसे मूर्खतापूर्ण निर्णय लेने वाले अफसरों का हर सप्ताह ट्रांसफर किया जाए। साथ ही सोशल मीडिया पर ऐसे में काम कर रहे बैंककर्मियों की सुरक्षा को लेकर भी चिन्ता जताई जा रही है। इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने आवाज भी उठाई है।
कहा जा रहा है कि अर्थव्यस्था को ठप होने से बचाने के लिए बैंककर्मियों का काम करना तो जरूरी है। लेकिन उनकी सुरक्षा का ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है। बताया जा रहा है कि बैंककर्मी भी लगातार संक्रमित हो रहे हैं।कईयों की तो जान भी जा चुकी है। ऐसे में बैंकों को अपने कर्मियों की सुरक्षा को लेकर भी कदम उठाने चाहिए। बैंकों के भीतर प्लाज़्मा नेटवर्क तैयार करने के भी सुझाव दिए जा रहे हैं।
साथ कर्मियों की आर्थिक मदद की भी मांग हो रही है। अब ऐसे में जिम्मेदारों को चाहिए कि वो अपने कर्मियों की सुरक्षा का पूरा ख्याल करे और उन तमाम उपायों को अपनाएं जिससे इस त्रासदी के दौर में काम कर रहे कर्मियों में अपनी व्यवस्था के प्रति विश्वास बना रहे।