रक्षाबंधनः राखी बांधते समय करें इस मंत्र का जाप, विशेष शुभ मुहूर्त हैं ये
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एक बार भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लग जाने पर द्रौपदी ने उनकी उंगली में अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधकर उनकी प्राण रक्षा की थी।
धर्म डेस्क। भारत भर में आज रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। इस मौके पर बहनें अपने भाइयों के राखी बांधेंगी। हालांकि सनातन धर्म में राखी को रक्षा का त्यौहार माना गया है। यानी रक्षाबंधन पर कोई भी किसी के राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन ले सकता है।
श्रावण पूर्णिमा को मनाए जाने वाले रक्षाबंधन पर्व से पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं भी जुड़ी हैं। मान्यता है कि एक बार भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लग जाने पर द्रौपदी ने उनकी उंगली में अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधकर उनकी प्राण रक्षा की थी।
इस पर भगवान कृष्ण ने उन्हें रक्षा करने का बचन दिया। इसके बाद जब कौरवों की सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तो कृष्ण ने उसी उंगली के चीर को बढ़ाकर द्रौपदी के शील की रक्षा की।
ऐतिहासिक आख्यान में भी रानी कर्णावती और हुमायूं के बीच राखी भेजने की प्रसंग है। राजस्थान के प्रसिद्ध मेवाड़ राजवंश पर जब गुजरात के बहादुर शाह ने आक्रमण किया तो वहां की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपनी रक्षा का वचन लिया था।
बादशाह हुमायूं राखी के इस पवित्र रिश्ते की लाज रखने के लिए अपनी सेना लेकर मेवाड़ की रक्षा करने चला। लेकिन, वहां तक पहुंचते पहुंचते उसे देर हो गई और रानी ने अपनी सभी दासियों के साथ जौहर कर लिया।
इसके बाद हुमांयू ने का्रेध में आकर गुजरात के बहादुर शाह का राज्य नष्ट कर दिया। राखी की यह सामाजिक सद्भाव की मिसाल सदियों से गाई जाती है।
इस मुहूर्त में बांधें राखी
रक्षाबंधन पर्व पर राखी को शुभ मुहूर्त में बांधने की परंपरा है। लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के ज्योतिर्विज्ञान विभाग के प्रवक्ता डाॅक्टर बिपिन पांडेय के अनुसार 3 अगस्त को रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय सुबह 9ः28 बजे से रात 9ः01 बजे तक है।
विशेष शुभ मुहूर्त दोपहर 1ः32 बजे से शाम 4ः13 बजे तक रहेगा। सायंकाल में 6 बजकर 53 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट तक भी विशेष शुभ मुहूर्त है।
इस मंत्र का करें जाप
डाॅक्टर बिपिन पांडेय के अनुसार राखी बांधते समय बहनें या राखी बांधने वाले अन्य व्यक्ति
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलाय | तेनत्वांमनुबध्नामि, रक्षेमाचल माचल: ।।
और
राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं,राष्ट्ररक्षासमं व्रतम। राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च।।
मंत्र का जाप करें।