राममंदिर के निर्माण कार्य ने पकड़ी गति, जानें इस वक्त क्या बन रहा है
एलएंडटी की टीमें जेसीबी व अन्य मशीनों के जरिए सबसे पहले सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने में जुटी हुई हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले ही बता दिया था कि राममंदिर परिसर में मौजूद करीब एक दर्जन ऐसे प्राचीन मंदिरों को ध्वस्त किया जाएगा।
अयोध्या। श्री राममंदिर भूमिपूजन के बाद से अयोध्या में कार्य ने गति पकड़ लिया है। तेजी के साथ राममंदिर निर्माण का कार्य हो रहा है। राममंदिर बनाने में कहीं भी स्टील और सरिया का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके लिए तांबा का इस्तेमाल होगा और उसी से पत्थरों को आपस में जोड़ा जाएगा. तांबा से मजबूती पर कोई असर न पड़े इसका भी खास ख्याल रखा जा रहा है।
आमतौर पर किसी भी भवन के निर्माण में मजबूती देने के लिए सरिया और स्टील का प्रयोग किया जाता है। हालांकि राममंदिर निर्माण ऐसा नहीं किया जाएगा। इसके निर्माण में स्टील, सरिया का प्रयोग न करने के बावजूद यह बहुत ही मजबूत होगी। मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी देख रहे लोगों का कहना है कि मंदिर में तांबे की पत्तियों का प्रयोग किया जाएगा। पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए करीब 10 हजार तांबे की पत्तियां इसमें इस्तेमाल होंगी. एक तांबे की पत्ती 3 मिलीमीटर मोटी होगी।
वहीं इसकी चौड़ाई 30 एमएम होगी. लंबाई की बात की जाए तो 18 इंच होगी। साथ ही इस बात भी ख्याल रखा जा रहा है कि तांबे की जो भी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाए वो स्टैंडर्ड क्वालिटी की हो। आपको यहां ये भी बताते चलें कि राममंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि परिसर में काम की गति तेज हो गई है। राममंदिर के मार्ग पर पड़े रहे जर्जर भवनों व मंदिरों के ध्वस्तीकरण की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। रामजन्मभूमि परिसर स्थित करीब 250 वर्ष पुराने सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है।
एलएंडटी की टीमें जेसीबी व अन्य मशीनों के जरिए सबसे पहले सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने में जुटी हुई हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले ही बता दिया था कि राममंदिर परिसर में मौजूद करीब एक दर्जन ऐसे प्राचीन मंदिरों को ध्वस्त किया जाएगा। जिनमें करीब तीन दशक से पूजा-अर्चना बंद है। इसी क्रम में गुरुवार दोपहर से प्राचीन सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। माना जा रहा है कि देर शाम तक मंदिर को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पहले ही बता चुके हैं इन मंदिरों को ध्वस्त किया जाएगा लेकिन इनमें विराजमान गर्भगृह को मंदिर परिसर में ही सुरक्षित रखा जाएगा। जब राममंदिर का निर्माण हो जाएगा तो इन सभी मंदिरों के गर्भगृह को उचित स्थान पर स्थापित कर इनकी पूजा-अर्चना का क्रम प्रारंभ किया जाएगा। श्रीरामजन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र ने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर में सीतारसोई, कोहबर भवन, आनंद भवन, साक्षी गोपाल सहित करीब एक दर्जन मंदिर हैं जिन्हें ट्रस्ट ने गिराने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में गुरुवार को सीता रसोई के अंदर के हिस्से को गिराने का काम शुरू कर दिया है।