करहल का रण: एसपी सिंह बघेल का तंज: करहल सपा का गढ़ होता तो अखिलेश यहां बार-बार क्यों आते
प्रो. एसपी बघेल का कहना है कि करहल सपा का गढ़ नहीं है, यहां से भाजपा ने भी चुनाव जीता है। पार्टी ने सपा अध्यक्ष के सामने चुनाव लड़ाने के योग्य समझा, इसके लिए नेतृत्व का आभारी हूं। यदि सपा का गढ़ होता, तो अखिलेश यादव को यहां बार-बार नहीं आना पड़ता।
मैनपुरी। यूपी विधानसभा चुनाव में मैनपुरी का करहल विधानसभा क्षेत्र का रण रोचक होता जा रहा है। भाजपा ने जहां इसे जीतने के लिए पूरी मेहनत कर रही है। वहीं इसे सपा के गढ़ के रूप में जाना जाता है।
इसके बाद भी सपा मुखिया को सबकुछ सामान्य नहीं लग रहा है, इसलिए इस बार पहली बार मुलायम सिंह यादव को मैदान में आकर बेटे के लिए वोट मांगना पड़ा। यहां तक कि मुलायम सिंह यादव ने कहा कि यह मेरी कर्मभूमि है,इसलिए मेरा मान रखते हुए उसे भारी मतों से जीत दिलाएं।
वहीं भाजपा प्रत्याशी ने हिन्दी दैनिक अमर उजाला से बात करते हुए कहा कि यदि मैनपुरी सपा का गढ़ होता तो वह बार —बार यहां नहीं आते,क्योंकि इस बार जनता का पूरा समर्थन मुझे मिल रहा है। भाजपा को मिल रहे भारी समर्थन को देखकर सपाई घबरा गए है
इसलिए वह अब गुंडई पर उतर आए हैं। दो दिन पहले हमारे प्रचार के लिए आई महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष राज्यसभा सांसद गीता शाक्य पर हमला हुआ। मेरी हत्या करने के लिए मेरे काफिले पर हमला किया गया।
भाजपा ने भी जीता है चुनाव
वहीं प्रो. एसपी बघेल का कहना है कि करहल सपा का गढ़ नहीं है, यहां से भाजपा ने भी चुनाव जीता है। पार्टी ने सपा अध्यक्ष के सामने चुनाव लड़ाने के योग्य समझा, इसके लिए नेतृत्व का आभारी हूं। यदि सपा का गढ़ होता, तो अखिलेश यादव को यहां बार-बार नहीं आना पड़ता।
अखिलेश ही नहीं, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव सहित पूरा सैफई कुनबा यहां ताकत लगा रहा है, हमें विश्वास है कि करहल में कमल खिलेगा। अखिलेश अपने पार्टी के प्रत्याशी से ज्यादा समय खुद की सीट पर दे रहे हैं। उन्होंने खुद सीट चुनी थी, यदि कोई खुद चुनाव जीतता है, तो वह चाहता है कि शांतिपूर्ण चुनाव हो, लेकिन सपा अब भय और आतंक से चुनाव जीतना चाहती है।
दलितों का मिल रहा साथ
भाजपा प्रत्याशी ने दावा किया कि दलित वोट बैंक भाजपा को ही मिल रहा है। करहल में बसपा प्रत्याशी जाटव हैं, लेकिन करहल का जाटव मतदाता समझ कर वोट दे रहा है कि सपा को कौन हरा सकता है। भाजपा ही सपा को हरा सकती है, इसलिए जाटव भाजपा को वोट दे रहे हैं।
दलित मतदाता जानते हैं कि जब सपा की सरकार आती है, तो सबसे ज्यादा उत्पीड़न उन्हीं का ही होता है। मोदी-योगी सरकार की योजनाओं से दलित वर्ग के जीवन मे गुणात्मक सुधार आया है।
विपक्ष पर बोला हमला
भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि 2017 में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। 2019 में बसपा और सपा का गठबंधन हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा के टीम वर्क के आगे उनके गठबंधन फेल हुए। अब इन छोटे-छोटे गठबंधन का कोई असर नहीं होगा।
जहां तक पिछड़े वोट बैंक की बात है, तो हमारे प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग से हैं। भाजपा ने ही दलित परिवार की सामान्य महिला बेबीरानी मौर्य को राज्यपाल बनाया था।
पिछड़े वर्ग को लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद में भाजपा ने जितना प्रतिनिधित्व दिया, उतना कभी किसी पार्टी ने नहीं दिया। चुनाव में 36 जातियों के वोट की आवश्यकता होती है, दो समाज के वोट से आप चुनाव नहीं जीत सकते हैं।
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