यूपी का रण: नीतीश कुमार ने बीजेपी को दिया तगड़ा झटका, यूपी में लड़ेंगे अकेले चुनाव

टीम भारत दीप |

अगर ट्विटर-ट्विटर खेलेंगे तो 76 लाख बीजेपी कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं।
अगर ट्विटर-ट्विटर खेलेंगे तो 76 लाख बीजेपी कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं।

जेडीयू के पास यूपी में कोई चुनावी जमीन नहीं है, इसके साथ ही यहां ये बात भी याद करना चाहिए कि साल 2019 में कैसे झारखंड विधानसभा चुनावों में पार्टी ने कुछ सीटों पर अपने कैंडिडेट्स उतारे थे, लेकिन नीतीश कुमार ने वहां भी कैंपेनिंग नहीं की थी, और अब जब बीजेपी बिहार में काफी मजबूत हो चुकी है।

लखनऊ। यूपी के रण में इस बार नीतिश कुमार की भी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ने जा रही है। ऐसे में सबसे बड़ा झटका बीजेपी को लगा है, क्योंकि बीजेपी का नीतिश की पार्टी के साथ बिहार में गठबंधन है।  इएके बाद भी नीतीश की पार्टी ने बीजेपी से कोई गठबंधन नहीं है। इस समय चुनावी ताप जोरों पर है, महाराष्ट्र की पार्टी शिवसेना भी यहां उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। 

नीतिश करेंगे अपनी पार्टी के लिए प्रचार

बीजेपी नीत एनडीए के सहयोगी और बिहार में बीजेपी के सहयोग से गठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार यूपी में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए कैंपेनिंग भी कर सकते हैं दरअसल, बीजेपी को झटका देते हुए जेडीयू ने यूपी में अपने उम्मीदवार अलग से उतारने का ऐलान किया है, आज मंगलवार को लखनऊ में इसकी घोषणा भी हो सकती है।

जेडीयू के पास यूपी में कोई चुनावी जमीन नहीं है, इसके साथ ही यहां ये बात भी याद करना चाहिए कि साल 2019 में कैसे झारखंड विधानसभा चुनावों में पार्टी ने कुछ सीटों पर अपने कैंडिडेट्स उतारे थे, लेकिन नीतीश कुमार ने वहां भी कैंपेनिंग नहीं की थी, और अब जब बीजेपी बिहार में काफी मजबूत हो चुकी है, ऐसे में यूपी में उनका एनडीए से अलग कैंडिडेट्स उतारना दिलचस्प है।

मालूम हो कि ​गत चुनाव में  बिहार बीजेपी और जेडीयू के बीच में पिछले दिनों नोंक-झोंक की खबरें आई हैं, दरअसल, बिहार सरकार में गठबंधन के सहयोगी कुछ मुद्दों को लेकर एक दूसरे से उलझे हुए हैं,

शराबबंदी, जातिगत जनगणना और सम्राट अशोक के बारे में बीजेपी के एक पूर्व सदस्य की विवादित टिप्पणी को लेकर दोनों पार्टियों के बीच तूत-मैंमैं हुई है। अभी सोमवार को ही बिहार बीजेपी अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने कहा था कि 'सहयोगियों के बीच सीधी बातचीत होनी चाहिए. अगर ट्विटर-ट्विटर खेलेंगे तो 76 लाख बीजेपी कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं।

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