पाकिस्तानी प्रेमिका के इश्क में की देश से गद्दारी
अपडेट हुआ है:
पाकिस्तानी डिफेंस के एक अधिकारी ने उसकी प्रेमिका से शादी कराने का वादा कर भारत से गोपनीय सूचनाएं मंगाने लगे|
लखनऊ। जासूसी करने के आरोप में पांच महीने पहले दबोचा गया राशिद अहमद पाकिस्तानी प्रेमिका को पाने की चाहत में आईएसआई एजेंट बन गया था। जनवरी में एटीएस द्वारा गिरफ्तार राशिद पाकिस्तान में रह रहे अपने मामा की लड़की से प्यार करता था। घर वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसकी जानकारी पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई को हुई। तब आईएसआई व पाकिस्तानी डिफेंस के एक अधिकारी ने उसकी प्रेमिका से शादी कराने का वादा कर भारत से गोपनीय सूचनाएं मंगाने लगे।
दो बार पाकिस्तान गया
राशिद वर्ष 2017 और 2018 में दो बार पाकिस्तान में अपनी मौसी हसीना बेगम के पास गया था और कराची में रुका था। वहीं राशिद के मामा नजीर भी रहते थे, जिनकी बेटी से वह प्यार करने लगा। मामा को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। राशिद का मौसेरा भाई शाहजेब आईएसआई और पाकिस्तानी डिफेंस के संपर्क में था। उसने राशिद की कहानी आईएसआई व पाकिस्तानी डिफेंस के आसिम और आमद को बताई और राशिद की मुलाकात कराई। दोनों ने प्रेमिका से शादी कराने का वादा किया और भारत के महत्वपूर्ण व संवेदनशील स्थानों की की फोटो, नक्शे और सेना के मूवमेंट की जानकारी मांगी। इसके बदले राशिद को पैसे भी देने का वादा किया गया।
भारत आते ही शुरू कर दी थी जासूसी
नंबर भारत का और व्हॉट्सएप चलवाया पाकिस्तान में भारत लौटकर राशिद आईएसआई और पाकिस्तानी डिफेंस के लिए काम करने लगा। उसने कई महत्वपूर्ण स्थानों और धार्मिक स्थलों की तस्वीरें भेजीं। उसने दो फोन नंबरो को एक्टिवेट कराकर पाकिस्तान में आसिम और आमद को व्हॉट्सएप चलाने के लिए ओटीपी बताया। यानी नंबर भारत का था और उस पर व्हाट्सएप पाकिस्तान में चल रहा था।
करीबियों की खंगाल रहे कुंडली
इसके बदले राशिद को पांच हजार रुपये भी भेजे गए थे। राशिद इन्हीं व्हॉट्सएप नंबरों पर संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें और नक्शे पाकिस्तान को भेजता रहता था। एनआईए राशिद के करीबियों की भी जानकारी जुटा रही है। जिस पेटीएम खाते में पैसे भेजे गए थे, उस मोबाइल धारक से भी जल्द ही पूछताछ की जा सकती है। हालांकि एटीएस की जांच में पता चला था कि जिनके नाम से सिम खरीदे गए और जिनके पेटीएम का इस्तेमाल कर पाकिस्तान से पैसा मंगा गया था, उन्हें राशिद की हरकतों की जानकारी नहीं थी। इसी आधार पर एटीएस ने पूछताछ के बाद बाकी लोगों को छोड़ दिया था।