गोरखपुर स्टेशन पर चूहे बने आफत, कार्यालयों में पहुंच कर रहे नुकसान, रोजाना मारे जा रहे 10 से 15 चूहे

टीम भारत दीप |
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भोजन की तलाश में चूहे रेलवे के कार्यालयों में पहुंचकर नुकसान पहुंचा रहे है।
भोजन की तलाश में चूहे रेलवे के कार्यालयों में पहुंचकर नुकसान पहुंचा रहे है।

ट्रेनों के संचालन कम होने से यह खाने—पीने की तलाश में कार्यालयों में पहुंचकर सामान को नुकसान पहुंचा रहे है। मालूम हो कि चूहों को मारने के लिए रेल प्रशासन हर साल करीब सात लाख रुपये खर्च करता है।

गोरखपुर। रेलवे स्टेशनों की पहचान बने चूहे अधिकारियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहे है। पहले पटरियों पर चहलकदमी करने वाले चूहे लॉकडाउन की वजह से रेलवे के कार्यालयों में दस्तक दी। क्योंकि ट्रेनों के संचालन कम होने से यह खाने—पीने की तलाश में कार्यालयों में पहुंचकर सामान को नुकसान पहुंचा रहे है।

मालूम हो कि चूहों को मारने के लिए गोरखपुर रेल प्रशासन हर साल करीब सात लाख रुपये खर्च करता है। ऐसे में जब नुकसान ज्यादा होने लगा तो कार्यालयों से खोजकर चूहों को मारने का सिलसिला शुरू कर दिया गया। इस समय रोज 10 से 15 चूहे कर्मचारी मार रहे है।ज्ञात हो कि कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन लगाया गया था, इस वजह से ट्रेनों का संचालन कम हो गया था। इस वजह से चूहों को भोजन मिलना बंद हो गया था। भोजन की तलाश में चूहे रेलवे के कार्यालयों समेत आसपास के मोहल्लों में घुसकर नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया।

चूहो द्वारा हो रहे नुकसान को देखते हुए रेलवे ने चूहे मारने का अभियान फिर शुरू कर दिया। स्टेशन पर रहने वाले चूह सर्वाधिक नुकसान पार्सल और अमानती सामान घर में रखे सामान को नुकसान पहुंचाते है, इससे रेलवे को काफी नुकसान होता है। इस नुकसान से बचने के लिए रेलवे ने दो साल के लिए चूहों को मारने का ठेका दे रखा है। इसमें दवाइयां, मैन पॉवर और चूहों के बिल को बंद करने का काम होता है। गोरखपुर जंक्शन पर चूहों को मारने का ठेका लेने वाले ठेकेदार आरपी मिश्रा ने बताया कि चूहों को मारने के लिए तीन शिफ्ट में एक-एक कर्मचारी की रोजाना ड्यूटी लगती है। 


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