आरबीआई ने छठी बार रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, सस्ती ईएमआई के लिए करना होगा इंतजार
आरबीआई गवर्नर ने अपने बयान में कहा कि महंगाई में हाल ही में आई कमी से थोड़ी गुंजाइश बनी है। विकास की गति हासिल करने के लिए पॉलिसी स्तर पर सभी पक्षों का समर्थन जरूरी है। सामान्य मानसून से इकोनॉमिक रिकवरी में मदद मिलेगी। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 9.5% कर दिया है।
नईदिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन दिन चली बैठक के बाद ब्याज दरों को बरकरार रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक समाप्त होने के बाद शुक्रवार को यह जानकारी दी। शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रोथ को बरकरार रखने के लिए आरबीआई एकोमोडेटिव स्टांस को बरकरार रखेगा।
आरबीआई गवर्नर ने अपने बयान में कहा कि महंगाई में हाल ही में आई कमी से थोड़ी गुंजाइश बनी है। विकास की गति हासिल करने के लिए पॉलिसी स्तर पर सभी पक्षों का समर्थन जरूरी है। सामान्य मानसून से इकोनॉमिक रिकवरी में मदद मिलेगी।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 9.5% कर दिया है। इससे पहले आरबीआई ने 10.5% ग्रोथ का अनुमान जताया था। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 में खुदरा महंगाई दर 5.1% रहने का अनुमान जताया है।
अप्रैल में भी दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था
आपकों बता दे कि तीन माह पहले हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में भी कोई बदलाव नहीं किया था। इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह लगातार छठा ऐसा मौका है जब आरबीआई की अहम दरें वर्तमान स्तरों पर ही बरकरार रखी गई हैं। 2020 में आरबीआई ने 115 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी।
यह होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है।
रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर आरबीआई से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी यानी नकदी को नियंत्रित किया जाता है। यानी रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।
खास बातें:
- आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है।
- यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है।
- मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट भी 4.25 फीसदी पर है।
- ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने को लेकर गवर्नर ने कहा कि लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से रिजर्व बैंक के एमपीसी ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
- इस बार मौद्रिक नीति समीक्षा का फोकस आर्थिक ग्रोथ पर है।
- दास ने आगे कहा कि रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।
- इसके साथ ही बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। यह 4.25 फीसदी पर है।
- इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक रुख को 'उदार' बनाए रखा है।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की जीडीपी में 9.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। पिछली बैठक में जीडीपी में 10.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया गया था।
- इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 18.5 फीसदी होगी, दूसरी तिमाही में 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.6 फीसदी।
- मुद्रास्फीति पर दास ने कहा कि, वित्त वर्ष 2021-2022 में सीपीआई 5.1 फीसदी रह सकती है। पिछली बैठक में भी 5.1 फीसदी का ही अनुमान लगाया गया था।
- पहली तिमाही में महंगाई दर 5.20 फीसदी रह सकती है, दूसरी तिमाही में 5.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.7 और चौथी तिमाही में यह 5.3 फीसदी हो सकती है।
- कमजोर मांग से प्राइस प्रेशर का दबाव है। महंगे क्रूड और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में उछाल से प्राइस प्रेशर की स्थिति बनी है। ऐसे माहौल में हर तरह से पॉलिसी सपोर्ट जरूरी है।
- शक्तिकांत दास ने कहा कि टीकाकरण से अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी। वैश्विक ट्रेंड सुधरने से निर्यात बढ़ेगा।