आरबीआई सख्त: डिपॉजिट नहीं लौटाने वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां होम लोन देना बंद करें

टीम भारत दीप |

एचएफसी को ग्राहकों को ऐसी भाषा में जानकारी देने के लिए कहा गया है जो उन्हें आसानी से समझ में आ जाए।
एचएफसी को ग्राहकों को ऐसी भाषा में जानकारी देने के लिए कहा गया है जो उन्हें आसानी से समझ में आ जाए।

आरबीआई ने गत दिवस एचएफसी के लिए व्यापक नियमावली जारी की, हाउसिंग फाइनेंस कपनियों का नियंत्रण भी आरबीआई के पास है। पहले यह नेशलनल हाउसिंग बैंक के पास था, लेकिन 2019 में केंद्रीय बैंक को इनके नियमन का अधिकार मिल गया था।

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक यानि आरबीआई ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों एचएफसी के लिए नियम सख्त कर दिए हैं। खासकर उन एचएफसी के लिए नियम कड़े किए गए हैं, जो लोगों से डिपॉजिट के माध्यम से पैसे जुटाती हैं।

इस  विषय  में केंद्रीय बैंक ने बुधवार के निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि जो कंपनियां फिक्स्ड डिपॉजिट होल्डर्स के पैसे नहीं लौटा सकतीं,उन्हें होम लेना देना बंद कर देना चाहिए।

आरबीआई ने गत दिवस एचएफसी के लिए व्यापक नियमावली जारी की, हाउसिंग फाइनेंस कपनियों का नियंत्रण भी आरबीआई के पास है। पहले यह नेशलनल हाउसिंग बैंक के पास था, लेकिन 2019 में केंद्रीय बैंक को इनके नियमन का अधिकार मिल गया था।

नए नियम के मुताबिक, एचएफसी के लिए 31 मार्च 2021 तक 14 फीसदी मिनिमम कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो के नियम का पालन करना होगा।

इसका मतलब है कि उन्हें हर 100 रुपये के लोन पर कम से कम 14 रुपये की पूंजी का प्रावधान करना होगा। केंद्रीय बैंक ने लिक्विडिटी कवरेज, एसेट रीक्लासिफिकेशन और दूसरे प्रूडेंशियल मानकों के संबंध में भी निर्देश जारी किया है, इन्हें बैंकों की तरह बनाया गया है।

ग्राहकों को आसान भाषा में समझाएं

केंद्रीय बैंक के निर्देश में फेयर प्रैक्टिसेज कोड को भी शामिल किया गया है। इसके तहत एचएफसी को ग्राहकों को ऐसी भाषा में जानकारी देने के लिए कहा गया है। जो उन्हें आसानी से समझ में आ जाए, उन्हें लोन देने से पहले ग्राहक को सभी तरह की फीस की जानकारियां शुरू में ही देनी होगी। उन्हें ग्राहक को यह भी बताना होगा कि ब्याज दर में बदलाव के लिए क्या शर्तें होंगी।

लोन रिकवरी एजेंट रखने के लिए भी नियम बनाए गए हैं। अगर एचएफसी कंपनियों के ग्रुप को लोन देती हैं तो किसी एक कंपनी को दिया गया कुल लोन उनके नेट ओन्ड फंड के 15 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ग्रुप कंपनियों को कुल लोन उनके नेट-ओन्ड फंड के 25 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
 


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