आर्थिक सर्वे ने बताईं भारत में बैंकिंग की खामियां, यूपीआई को लेकर अच्छी खबर

टीम भारत दीप |

लोन को लेकर जो दिख रहा है स्थिति उससे ज्यादा खराब है।
लोन को लेकर जो दिख रहा है स्थिति उससे ज्यादा खराब है।

आर्थिक सर्वे 2021 में बताया गया है कि 2008 में बिगड़ी आर्थिक परिस्थितियों के बाद बैंकों के सामने संपत्ति जुटाना बड़ी चुनौती था।

बैंकिंग डेस्क। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण से बजट सत्र के आगाज के साथ ही आर्थिक सर्वे 2021 को संसद के पटल पर रखा गया। 

इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में जिक्र किया कि दिसंबर 2020 में भारत में 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ट्रांजेक्शन केवल यूपीआई के जरिए किए गए। 

यह भारत में यूपीआई की बढ़ती संभावना को बताता है। इसी के साथ आरबीआई भी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस को बढ़ावा देने और अपने पेमेंट सिस्टम रुपे को वैश्विक स्तर पर ले जाने की प्लानिंग कर रहा है।

आर्थिक सर्वे 2021 में बताया गया है कि 2008 में बिगड़ी आर्थिक परिस्थितियों के बाद बैंकों के सामने संपत्ति जुटाना बड़ी चुनौती था। वहीं लोन लेने वाली कंपनियों को धन की आवश्यकता थी। इसी क्रम में बैंकों द्वारा एनपीए को लेकर अपने नियमों में ढील दी गई।

लेकिन जरूरी था मुनाफा बढ़ने के साथ ही इसे वापस लिया जाए लेकिन यह जारी रहा और यही वर्तमान में बैंकों के बिगड़े हालात का कारण माना जा रहा है।

आर्थिक सर्वे में इस बात का भी जिक्र है कि भारत में बैंकों की ऋण अदायगी न होने स्थिति आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा खराब है। अधिकतर बैंक बैड लोन की संख्या कम दिखा रहे हैं जिसका एक कारण सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश है जिसमें सिंतबर से किसी भी लोन को एनपीए घोषित करने से रोका गया है।


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