रिजर्व बैंक की गाइड लाइन अब सांसद-विधायक नहीं बन सकेंगे सहकारी बैंकों के निदेशक
आरबीआई ने नई गाइडलाइन में बताया कि शहरी सहकारी बैंकों में एमडी-डब्ल्यूटीडी पद के लिए विधायक, सांसद या नगर निगम प्रतिनिधियों को नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। इस पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता परास्नातक या वित्तीय क्षेत्र की डिग्री मानी जाएगी।
मुंबई। सहकारी बैंकों में पद का डर दिखाकर कई घोटाले मामले सामने आने के बाद आरबीआई अब सतर्क हो गई। आरबीआई ने नए निर्देश जारी किए है। नए नियम के तहत अब विधायक, सांसद या नगर निगम के प्रतिनिधि अब प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के प्रबंधन निदेशक अथवा पूर्णकालिक निदेशक (डब्ल्यूटीडी) नहीं बन सकेंगे।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को इनकी नियुक्तियों पर रोक लगाते हुए इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता भी तय कर दी है। आरबीआई ने नई गाइडलाइन में बताया कि शहरी सहकारी बैंकों में एमडी-डब्ल्यूटीडी पद के लिए विधायक, सांसद या नगर निगम प्रतिनिधियों को नियुक्त नहीं किया जा सकेगा।
इस पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता परास्नातक या वित्तीय क्षेत्र की डिग्री मानी जाएगी।
आवेदन के लिए यह योग्यता जरूरी
प्रबंधन निदेशक अथवा पूर्णकालिक निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदक के पास चार्टर्ड अकाउंटेंट, एमबीए (फाइनेंस) या बैंकिंग में डिप्लोमा अथवा सहकारी कारोबार प्रबंधन में डिप्लोमा धारक हो तभी एमडी-डब्ल्यूटीडी बन सकेगा। आवेदक की उम्र 35 साल से कम और 70 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
बैंकिंग क्षेत्र में वरिष्ठ या मध्यम स्तर के पद पर आठ साल का अनुभव रखने वाला व्यक्ति भी सहकारी बैंकों के एमडी-डब्ल्यूटीडी पद के योग्य माना जाएगा। प्रतिनिधियों के अलावा कारोबारी अथवा सहकारी कंपनी में किसी भी तरह से हित रखने वाले की नियुक्ति भी इस पद पर नहीं की जा सकेगी।
पांच साल के लिए होगी नियुक्ति
आरबीआई ने कहा, एक व्यक्ति की नियुक्ति अधिकतम पांच साल के लिए होगी और उसे दोबारा भी नियुक्त किया जा सकेगा। हालांकि, पूरा कार्यकाल 15 साल से अधिक नहीं होगा। बेहद जरूरत पर ही इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
जिन शहरी सहकारी बैंकों के एमडी-सीईओ का कार्यकाल पांच साल पूरा हो चुका है, वे दो महीने के भीतर दोबारा नियुक्ति के लिए अथवा नई नियुक्ति के लिए आरबीआई से संपर्क करेंगे। किसी की भी दोबारा नियुक्ति के लिए कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही रिजर्व बैंक से मंजूरी लेनी होगी।
इस तरह होगी निगरानी
आरबीआई ने कहा, 5 हजार करोड़ से ज्यादा पूंजी वाले सहकारी बैंकों को अनिवार्य रूप से मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ) नियुक्त करना होगा। साथ ही सभी सहकारी बैंकों को जोखिम के आकलन के लिए पुख्ता प्रबंध बनाने होंगे।
बैंक का बोर्ड सीआरओ की भूमिका और जिम्मेदारी तय करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वे स्वतंत्र रूप से अपना काम कर सकें। सीआरओ सीधे बैंक के एमडी-सीईओ को रिपोर्ट करेंगे।
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