रिवरफ्रंट घोटाला: सीबीआई की टीमों ने लखनऊ समेत इन 17 जिलों में मारा छापा
सीबीआई ने यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी की है। इस दरम्यान सीबीआई ने इस प्रोजेक्ट से संबंधित 407 करोड़ रुपये के विभिन्न कार्यों के कार्यान्वयन में अनियमितता के आरोप में 16 लोक सेवकों और 173 निजी व्यक्तियों / फर्मों / कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
लखनऊ। यूपी में चुनावी माहौल के बीच रिवरफ्रंट घोटाला मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। दरअसल सोमवार को इस मामले में सीबीआई की 40 टीमों ने लखनऊ, गाजियाबाद और देहरादून सहित 17 जिलों व शहरों में छापेमारी की है। बताया गया कि सीबीआई ने यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी की है।
इस दरम्यान सीबीआई ने इस प्रोजेक्ट से संबंधित 407 करोड़ रुपये के विभिन्न कार्यों के कार्यान्वयन में अनियमितता के आरोप में 16 लोक सेवकों और 173 निजी व्यक्तियों / फर्मों / कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब दर्जनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
वहीं मामले में यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की गई है। बता दें कि रिवरफ्रंट घोटाला सपा सरकार में हुआ था, इसमें छापेमारी शुरू कर दी गई है। दरअसल रिवरफ्रंट घोटाले के आरोप समाजवादी पार्टी सरकार पर लगते रहे हैं।
रिवरफ्रंट सपा सरकार में गोमती नदी के किनारे बनवाया गया था जिसका सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार प्रचार करते रहे हैं। यूपी में 2017 में भाजपा सरकार आने पर मामले की जांच की बात कही गई थी। इसके बाद से कई अफसरों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। वहीं मामले में अब फिर से छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है।
बताया गया कि करीब 1500 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच कर रहा है। इस मामले को लेकर योगी सरकार ने चार साल पहले घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। उससे पहले अप्रैल 2017 में प्रदेश सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।
बताते चलें कि जांच के बाद गोमती नगर थाने में कई अधिकारियों के खिलाफ कमेटी ने एफआईआर दर्ज कराई थी। उसी एफआईआर को आधार बनाकर सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की थी। बताया गया कि एक इंजीनियर रूप सिंह की गिरफ्तारी इस मामले में कुछ ही दिन पहले की गई थी। वहीं रिवर फ्रंट परियोजना के तहत अकेले सिंचाई विभाग ने 800 से अधिक टेंडर जारी किए थे।
बताया गया कि इनमें नियमों को दरकिनार कर ठेकेदारों को काम दिया गया था। उस समय लखनऊ खंड शारदा नहर के अधिशासी अभियंता रूप सिंह के खिलाफ सीबीआई को पर्याप्त सुबूत मिले थे। वहीं मामले को लेकर सीबीआई में आई तेजी को लेकर सियासी सवाल भी उठ रहे हैं।