प्रजनन के लिए तालबेहट आने वाले प्रवासी पक्षियों का बेहरमी से हो रहा कत्ल

टीम भारत दीप |

मालूम हो कि यह पक्षी प्रजनन के लिए अच्छे माहौल की तलाश में भारत आते है
मालूम हो कि यह पक्षी प्रजनन के लिए अच्छे माहौल की तलाश में भारत आते है

दुर्भाग्य से यह परिंदे अपने देश वापस नहीं जा पाते। सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ने लगती है। साइबेरियन पक्षियों का शिकार करने का सिलसिला इस समय शुरू हो गया है। शिकारी अपने स्वार्थ के लिए इन पक्षियों को जहर देकर मार रहे हैं, जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है।

ललितपुर। ​जिले में हर साल सर्दी के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी प्रजनन के लिए आते है। दुर्भाग्य से यह परिंदे अपने देश वापस नहीं जा पाते। सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ने लगती है।

साइबेरियन पक्षियों का शिकार करने का सिलसिला इस समय शुरू हो गया है। शिकारी अपने स्वार्थ के लिए इन पक्षियों को जहर देकर मार रहे हैं, जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। मालूम हो कि यह पक्षी प्रजनन के लिए अच्छे माहौल की तलाश में भारत आते है, अधिकांश अपने वतन नहीं लौट पाते है।

सर्दी शुरू होते ही साइबेरिया क्षेत्र के पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके जिले के बांधों व तालाबों के किनारे आ जाते हैं। ललितपुर के माताटीला बांध और शहजाद बांध के भराव क्षेत्र में यह भारी संख्या में मौजूद रहते हैं।

मांसाहारी लोग इन पक्षियों को बड़े चाव से मारकर खाते है।कुछ लोग इसे जाल डाल कर पकड़ते हैं। कम संख्या में आने के कारण इन्हें जहर देकर मारा जा रहा है।इसके लिए वह छोटी- छोटी मछलियों में जहर भरकर उसे पानी में डाल देते है।

इसके बाद जैसे ही यह पक्षी भोजन के रूप में उनका शिकार करते हैं, कुछ ही पल में उनका शिकार हो जाता है। जहर देकर मारी जा रही यह चिड़ियां लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, लेकिन इसके बाद भी पक्षियों का शिकार किया जा रहा है।

साइबेरियन पक्षी के अलावा जब ठंड ज्यादा हो जाती है तब काली चिड़िया आती है, लेकिन जैसे- जैसे सर्दी अधिक बढ़ती है, उसी रफ्तार से इन पक्षियों के आने की संख्या बढ़ जाती है। कड़ाके की सर्दी में इन चिड़ियों में सबसे अधिक महत्व रखने वाली लाल रंग की खूबसूरत चिड़िया आती है। इसको क्षेत्र में लालसर के नाम से जाना जाता है।


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