बेटे का दर्द देख मां ने दुनिया छोड़ी, पत्नी की देखभाल से पति ने ऐसे कोरेाना को हराया

टीम भारत दीप |

कभी मां, कभी पत्नी तो कभी डॉक्टर बनकर हिम्मत से परिस्थितियों को मुकाबला किया।
कभी मां, कभी पत्नी तो कभी डॉक्टर बनकर हिम्मत से परिस्थितियों को मुकाबला किया।

एहतियातन कई बार आरटीपीसीआर जांच कराई, लेकिन हर बार रिपोर्ट निगेटिव आती रही। इस बीच उनकी तबीयत बिगड़ती गई। अल्लापुर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए। वहां हुई ट्रूनॉट जांच में उन्हें कोविड पॉजिटिव बताया गया और अस्पताल प्रबंधन ने कोविड अस्पताल जाने का कहा।

प्रयागराज। कोरोना वायरस की वजह से लोग कितने गहरे अवसाद में जा रहे है। इसका उदाहरण समय-समय पर सामने आ रहे है। ताजा मामला प्रयागराज से सामने आया है। मीडिया रिपोर्टस के माध्यम से आई जानकारी के अनुसार यहां के मीरापुर के आंनद तिवारी में कोरोना के लक्षण देख उनकी वृद्ध मां ने खानापीना छोड़ दिया, बेटे का दर्द वह देख नहीं पा रही थी, लिहाजा उन्होंने दुनिया ही छोड़ दी।

आनंद तिवारी की पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी और डॉक्टर की सलाह और अच्छी देखभाल से पति को मौत के मुंह से निकाल लाई। वह भी उस समय जब किसी अस्पताल में उन्हें जगह नहीं मिली। पत्नी ने घर पर अच्छी देखरेख करके पति को ठीक कर दिया। 
 

मीरपुर के रहने वाले पेशे से वकील आनंद तिवारी को कोरोना के लक्षण दिखाई दिए, एहतियातन कई बार आरटीपीसीआर जांच कराई, लेकिन हर बार रिपोर्ट निगेटिव आती रही। इस बीच उनकी तबीयत बिगड़ती गई। अल्लापुर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए।

वहां हुई ट्रूनॉट जांच में उन्हें कोविड पॉजिटिव बताया गया और अस्पताल प्रबंधन ने कोविड अस्पताल जाने का कहा। लेकिन किसी अस्पताल में जगह नहीं थी, आनंद की हालत गंभीर थी। पत्नी प्राची ने हिम्मत नहीं हारी। पति को घर लाईं और एहतियात बरतते हुए डॉ. आशुतोष गुप्ता की सलाह पर इलाज शुरू किया।

इस बीच आनंद की मां शकुंतला देवी की मौत  हो गई फिर भी उन्होंने खुद को संभाला। विषम परिस्थितियों में पति की सेवा कर उन्हें इस काबिल किया कि 23 अप्रैल को उनका ऑक्सीजन सपोर्ट हटाया गया।

मां ने खाना पीना छोड़ दिया 

मां शकुंतला देवी बेटे की बिगड़ी तबीयत को देखकर  खानापीना छोड़ चुकीं बुजुर्ग मां शकुंतला ने 25 अप्रैल को अंतिम सांस ली। घर में बेटी को संक्रमण से बचाने और पति की सेवा कर कोरोना मुक्त कराने के करीब 35 दिनों के दौरान प्राची तिवारी ने हौसला नहीं खोया।

कभी मां, कभी पत्नी तो कभी डॉक्टर बनकर हिम्मत से परिस्थितियों को मुकाबला किया। इस बीच सास के क्रियाकर्म, तेरहवीं संपन्न कराई और पति को मौत के मुंह से खींच लाईं।

घर के माहौल में जल्द ठीक हो रहे मरीज

कोरोना मरीज घर के माहौल में जल्दी ठीक हो रहे है।  क्योंकि घर पर उनके अनुसार उन्हें खाना मिलता है। घर के माहौल में घुटन नहीं होती है, इन सबसे बढ़कर अपनों का प्यार जो मिलता है, वह कोरोना को हराने में काफी कारगर सिद्ध हो रहा है।

पत्नी प्राची ने डॉक्टर परामर्श से दवाएं ही नहीं ताजा पौष्टिक भोजन और मानसिक तनाव मुक्ति के साधनों के अपनाकर  पति आनंद को पहले की तरह स्वस्थ्य कर दिया। इस परिवार ने इस संकट की घड़ी में जो हौंसला दिखाया वह काबिले तारिफ है। 
 


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