फिर टली शबनम की फांसी, परिवार के सात लोगों को यूं उतारा था मौत के घाट
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शबनम की फांसी को लेकर मंगलवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। पहले ये माना जा रहा था कि जिला जज की अदालत में शबनम की रिपोर्ट सौंपी जाएगी और यदि इस रिपोर्ट में कोई याचिका लंबित नहीं पाई गई तो शबनम की फांसी की तारीख मुकर्रर की जा सकती है।
अमरोहा। प्रेमी के साथ्र मिलकर अपने परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाली हत्यारन शबनम की फांसी एक बार फिर टल गई है। दरअसल अमरोहा में बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम की फांसी एक कारण की वजह से टली है। दरअसल जनपद न्यायालय ने अभियोजन से कातिल शबनम का ब्यौरा मांगा था। मगर उसके अधिवक्ता की ओर से राज्यपाल को दया याचिका दाखिल कर दी गई।
फिर से दया याचिका दाखिल होने के कारण फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हो सकी है। जानकारी के मुताबिक शबनम की फांसी को लेकर मंगलवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। पहले ये माना जा रहा था कि जिला जज की अदालत में शबनम की रिपोर्ट सौंपी जाएगी और यदि इस रिपोर्ट में कोई याचिका लंबित नहीं पाई गई तो शबनम की फांसी की तारीख मुकर्रर की जा सकती है।
वहीं शबनम के वकील ने कुछ दिन पहले ही फिर से दया याचिका के लिए राज्यपाल से गुहार लगाते हुए जिला जेल रामपुर प्रशासन को प्रार्थनापत्र सौंपा था। जिसका आज सुनवाई में जिक्र आया। इसके कारण फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हो सकी।
बताते चलें कि 14/15 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों कों कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था। मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका भी ख़ारिज कर दी थी।
जिसके बाद राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को ख़ारिज कर दिया। हालांकि नैनी जेल में बंद सलीम की दया याचिका पर अभी फैसला होना है। बता दें कि पिछले सप्ताह अपने 12 साल के बेटे से मिलकर शबनम फूट-फूटकर रो रोई थी और खुद को निर्दोष बताते हुए सीबीआई जांच की मांग कर डाली।
वहीं शबनम के बेटे की परवरिश कर रहे उस्मानी सैफी के मुताबिक रामपुर जेल में जब उसने शबनम से पूछा की क्या उसने यह गुनाह किया है तो उसने इनकार कर दिया और सीबीआई जांच की बात कही थी। इधर बताया गया कि शबनम ने बेटे ताज से कहा कि वह उसकी परछाई से भी दूर रहे और पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बने।