शबनम के बेटे ताज की फरियाद, राष्ट्रपति अंकल, मेरी मां को माफ कर दो
मालूम हो कि शबनम का 12 वर्षीय बेटा ताज बुलंदशहर में भूड़ चौराहे के समीप सुशील विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी के संरक्षण में पल रहा है। ताज को मां के गुनाहों का अहसास है। उस्मान ने फोन पर बताया कि बेटे ताज ने राष्ट्रपति से मां शबनम को माफ करने की मांग की है।
अमरोहा।अपने ही परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम के डेथ वारंट पर कभी भी दस्तखत हो सकती है। बुधवार को मथुरा जेल में चल रही फांसी देने की तैयारियों की खबर सोशल मीडिया पर छाई रहीं।
मालूम हो कि शबनम और उसके प्रेमी को कही से भी दया नहीं मिली है। ऐसे में उसके 12 वर्षीय बेटे ताज ने अपनी मां की जान बचाने के लिए आखिरी उम्मीद से राष्ट्रपति से गुहार लगाई है। बेटे ताज ने कहा कि राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां को माफ कर दो।
मालूम हो कि शबनम का 12 वर्षीय बेटा ताज बुलंदशहर में भूड़ चौराहे के समीप सुशील विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी के संरक्षण में पल रहा है। ताज को मां के गुनाहों का अहसास है। उस्मान ने फोन पर बताया कि बेटे ताज ने राष्ट्रपति से मां शबनम को माफ करने की मांग की है।
21 को बेटे ने की थी मां से मुलाकात
फांसी की सजा की सजा पाई रामपुर जेल में कैद शबनम से बेटे ताज और उस्मान ने 21 जनवरी को मुलाकात की थी। जेल में मुलाकात के दौरान बेटे ताज को दुलारते हुए शबनम ने टॉफी के अलावा रुपये भी दिए थे।बेटे से बोली, पढ़ लिख कर अच्छा इंसान बनना उस्मान ने बताया कि मुलाकात के दौरान शबनम ने बेटे से कहा था कि पढ़ लिख कर अच्छा इंसान बनना है। मन से पढ़ाई करोगे तो आगे बढ़ोगे।
उस्मान ने ताज को लिया है गोद
शबनम के बेटे ताज के अभिभावक उस्मान ने बताया कि ताज को गोद लेने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। हसनपुर तहसील के दौरारा गांव के रहने वाले उस्मान से मुलाकात के लिए शबनम ने जेल से 23 बार इनकार कर दिया।
जेल के अफसरों की कोशिशों के बाद मुलाकात को रजामंद हुई। उन्होंने बताया कि शबनम कॉलेज में पढ़ाई में दो साल सीनियर थी। कोशिशों के बाद बच्चे ताज की परवरिश की जिम्मेदारी हासिल की।
ग्रामीण बोले, शबनम की फांसी से मिलेगा सुकून
शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारी के बाद उसके गांव के रहने वालों ने सुकून जताया, अमर उज्जाला के पोर्टल पर चल रही खबर के मुताबिक गांव के जावेद का कहना है कि उस कांड के बाद से शबनम नाम से ही नफरत हो गई है।
उसका नाम सुनना भी कोई पसंद नहीं करता। शबनम को मथुरा में फांसी पर लटकाने की तैयारियों की जानकारी मिली तो बहुत सुकून मिला है। इसी तरह शाहबुद्दीन का कहना है कि यदि अब भी शबनम को फांसी दिया जाना दूसरे अपराधों के लिए नजीर बनेगा।
ऐसा जघन्य अपराध करने वालों को शीघ्र फांसी दे देनी चाहिए। शफीक का कहना है कि शबनम में अपने ही परिवार के सात लोगों की हत्या कर गांव को कलंकित कर दिया। उसे जिंदा रहने का कोई हक नहीं है। उसे जल्द फांसी पर लटकाना चाहिए।उजैर का कहना है कि शबनम को फांसी पर लटकाए जाने का इंतजार ग्रामीण वर्षों से कर रहे हैं। अब इंतजार खत्म होता नजर आ रहा है।
चाचा-चाची ने भी कोसा शबनम को
बाबनखेड़ी में रह रहे शबनम के चाचा सत्तार अली का कहना है कि शबनम को बहुत पहले ही फांसी पर लटका देना चाहिए था। अब तक उसे क्यों फंदे पर नहीं लटकाया गया। इस बात का मतलब समझ नहीं आता। सत्तार अली की पत्नी फात्मा का कहना है कि हत्याकांड के बाद शबनम को इतने वर्ष तक जिंदा रहने का कोई हक नहीं है। उसे जल्द से जल्द फंदे पर लटका देना चाहिए।