शतचण्डी महायज्ञ: माता बड़ी भुइयन देवी मंदिर बना आस्था का केन्द्र,श्रद्धालुओं का तांता
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आयोजन यहां लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यह भव्य आयोजन यहां अध्यात्मिक उत्सव का रूप लेता नजर आ रहा है। श्रद्धालुओं का आए दिन यहां तांता लगा हुआ है। आयोजन के दौरान हो रहे ग्यारह लाख नवार्ण मन्त्र जप यज्ञ से वातावरण में अध्यात्मिक ऊर्जा का संचरण साफ महसूस किया जा सकता है।
लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों शतचण्डी महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। आयोजन गोमती नदी के निकट सरौरा,आईआईएम रोड स्थित माता बड़ी भुइयन देवी के मंदिर परिसर में चल रहा है। यह आयोजन यहां लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यह भव्य आयोजन यहां अध्यात्मिक उत्सव का रूप लेता नजर आ रहा है।
श्रद्धालुओं का आए दिन यहां तांता लगा हुआ है। आयोजन के दौरान हो रहे ग्यारह लाख नवार्ण मन्त्र जप यज्ञ से वातावरण में अध्यात्मिक ऊर्जा का संचरण साफ महसूस किया जा सकता है।
भक्त मंदिर में माता के दर्शन के साथ ही यहां बने 108 हवनकुंड में आहूति दे अपनी मंगल कामना के साथ ही विश्व कल्याण की कामना करते नजर आते हैं। बताया गया कि विश्व कल्याण की कामना के उद्देश्य ये प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी शतचण्डी यज्ञ का आयोजन 12 फरवरी से शुरू हुआ है। इससे एक दिन पूर्व 11 फरवरी को षोभा यात्रा का आयोजन किया गया।
जिसमें आस-पास के अलावा दूर-दराज से आए भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भी हिस्सा लिया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में ढोल-नगाड़ों व शंख ध्वनि के बीच यह कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
गुरू योग थाना पति महन्त मुन्ना गिरि महाराज, मायादेवी मंदिर, हरिद्वार (13 मणि सन्यासी), श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, काशी के कृपापात्र, माता सेवक व तपस्वी नागा साधु आनन्द गिरि महाराज ने बताया कि 12 फरवरी को कलश स्थापना एवं वेदी पूजन के साथ विधि-विधान से आयोजन का आरम्भ हुआ।
नागा साधु आनन्द गिरि महाराज ने बताया कि बढ़ते पाप के कारण लगातार धर्म का क्षय होता जा रहा है। परिणाम स्वरूप अराजकता व महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में सनातन धर्म की अलख जलाए रखना व संसार में व्याप्त महामारी एवं मानव समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के निवारण एवं सद्बृद्धि सम्वर्धन ही शतचण्डी महायज्ञ का प्रमुख उद्देश्य है।
बताया गया कि महायज्ञ से एक दिन पूर्व कलश यात्रा का आयोजन हुआ जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। तपस्वी नागा साधु आनन्द गिरि महाराज ने बताया कि आयोजन 20 फरवरी को प्रातः 11.30 बजे पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगा। वहीं 21 फरवरी को भण्डारे का आयोजन होगा जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे।