आजम खां को झटका: अदालत ने खारिज की सांसद की अपील, तहसीलदार की अदालत के फैसले को सही माना

टीम भारत दीप |

सुनवाई में अदालत ने तहसीलदार की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
सुनवाई में अदालत ने तहसीलदार की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कार्रवाई के विरोध में जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2020 तक भवनों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी और तहसीलदार के आदेश के खिलाफ एसडीएम कोर्ट में निगरानी दाखिल करने के आदेश दिए थे। इस पर जौहर ट्रस्ट ने एसडीएम कोर्ट में अपील दाखिल किया था।

मुरादाबाद। यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजमखान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। कोर्ट ने मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी में चकरोड की जमीन के मामले में सांसद के खिलाफ फैसला दिया है। आजम खां के जौहर ट्रस्ट की अपील को उपजिलाधिकारी की कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

एसडीएम की कोर्ट ने तहसीलदार की अदालत के फैसले को सही माना है। इस मामले में पहले तहसीलदार की कोर्ट ने चकरोड की जमीन से कब्जा हटाने के आदेश दिए थे।मालूम हो कि इस पर जौहर ट्रस्ट ने राजस्व परिषद में याचिका दायर की थी। जिसे राजस्व परिषद ने खारिज कर दिया था।

इसके बाद प्रशासन ने 17.5 बीघा जमीन का चिन्हीकरण कर उस पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद  पूरी जमीन को ग्राम समाज के खाते में दर्ज करते हुए आलियागंज के प्रधान की सुपुर्दगी में दे दिया था।

चकरोड की जमीन पर मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के कुलपति का आवास, साइंस फैकल्टी के निकट स्थित एक भवन और मेडिकल कालेज का कुछ हिस्सा भी बना है। प्रशासन ने तीन ओर से दीवारों को ध्वस्त कर किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने का रास्ता बना दिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कार्रवाई के विरोध में जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2020 तक भवनों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी और तहसीलदार के आदेश के खिलाफ एसडीएम कोर्ट में निगरानी दाखिल करने के आदेश दिए थे।

इस पर जौहर ट्रस्ट ने एसडीएम कोर्ट में अपील दाखिल किया था। एसडीएम सदर मनीष मीणा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए जौहर ट्रस्ट की अपील को खारिज करते हुए तहसीलदार की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।

शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी के अनुसार जौहर विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध चकरोड की जमीन को शामिल कर लिया गया था। ताजा अपील की सुनवाई में अदालत ने तहसीलदार की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।

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