साहब काहे को परेशान हो रहे है, इतने जल्दी मुझे फांसी नहीं होने वाली हैः सलीम

टीम भारत दीप |

सलीम ने जेल में लकड़ी के काम का प्रशिक्षण लिया था,वह बढ़ई का काम बहुत बढ़िया करता है।
सलीम ने जेल में लकड़ी के काम का प्रशिक्षण लिया था,वह बढ़ई का काम बहुत बढ़िया करता है।

अपनी प्रेमिका शबनम के कहने पर उसके माता-पिता,दो भाई, एक भाभी, रिश्ते की बहन को कुल्हाड़ी से काट डाला था। सलीम बड़ी बेशर्मी के साथ यह बातें आज भी जेल में साथी बंदियों को बताता है।

प्रयागराज। साहब काहे को परेशान हो रहे है, इतने जल्दी मुझे फांसी-वासी नहीं होने वाली है। यहां इस देश में फांसी से बचने के इतने हथकंडे है कि फांसी लगते-लगते अभी कई साल  जाएंगे।

यह शब्द अपनी प्रेमिका के साथ उसके सात घर वालों को मौत की नींद सुलाने वाले सलीम के। सात लोगों की हत्या के बाद भी सलीम इतनी बेशर्मी से अपनी बात रखता है कि कोई उस पर विश्वास भी न कर सके।  

मालूम हो कि सलीम ने अपनी प्रेमिका शबनम के  कहने पर उसके माता-पिता,दो भाई, एक भाभी, रिश्ते की बहन को कुल्हाड़ी से काट डाला था। सलीम बड़ी  बेशर्मी के साथ यह बातें आज भी जेल में साथी बंदियों को बताता है।

नवंबर में अपनी दया याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए नैनी जेल में हाई सिक्योरिटी सेल से कार्यालय में लाए गए सलीम से जब वहां एक जेल अधिकारी ने कहा कि अब तो तुम्हें फांसी होकर रहेगी तो उसने यह जवाब दिया कि यहां बचने के इतने विकल्प है कि फांसी होने में वर्षों लग जाएंगे।

परेशान मत होइए साहब, हमें इतनी जल्दी कुछ नहीं होने वाला है। हालांकि जब उसकी प्रेमिका शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति के यहां से खारिज हुई तो वह बेचैन हो गया था, लेकिन जैसे ही उसकी फांसी की तारीख एक बार आगे बढ़ी वह फिर से पुराने ढर्रे पर आ गया और शायरी लिखने लगा।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडेय ने एक हिन्दी दैनिक अमर उजाला को बताया कि सलीम को कोई पश्चाताप न पहले था और न आज है। हालांकि जेल में उनकी जानकारी में उसने ऐसी कोई हरकत नहीं की और न कर रहा है, जिससे कि कोई परेशान है। उसका व्यवहार भी सबसे अच्छा रहता है। साथी कैदियों की मदद भी करता है। पांच वक्त का नमाजी है।

शबनम को याद करता है सलीम

जेलर ने बताया कि वैसे तो सलीम कभी भी अपने घर वालों को उतना याद नहीं करता जितना वह शबनम को करता रहता है। सलीम को 27 सितम्बर 2018 को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल लाया गया था। इससे पहले वो बरेली जेल में बंद था।

बरेली की जेल में फांसी की सुविधा नहीं होने की वजह से सलीम को यहां शिफ्ट किया गया था। सलीम जब बरेली की जेल में था तो उस वक़्त वहां के प्रभारी पीएन पांडेय ही थे, जो इस समय नैनी सेंट्रल जेल के सीनियर सुप्रीटेंडेंट हैं।

डीआईजी का भी चार्ज देख रहे वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडेय का कहना है कि सलीम एक प्रशिक्षित कारीगर है। उसने जेल में ही लकड़ी के काम का प्रशिक्षण लिया था। वह बढ़ई का काम बहुत बढ़िया करता है। चूंकि नैनी जेल में लकड़ी का बड़े स्तर पर काम होता है। यहां लकड़ी के फर्नीचर बहुत बनते हैं, इसलिए सलीम ने यहां पर बहुत शानदार फर्नीचर बनाए हैं। 

यह हुआ था उस रात 

अमरोहा के बावनखेड़ी में 14 अप्रैल 2008 को शबनम के माता-पिता, दो भाई भाभी, 10 महीने के दुधमुंहे भतीजे और रिश्ते की बहन की गला काटकर हत्या कर दी गई थी, घर में अकेले शबनम ही बची हुई थी, इसी से पुलिस को शक हुआ।

बाद में पता चला कि शबनम ने ही अपने आशिक सलीम के साथ मिलकर पूरे परिवार की हत्या की थी।  दरअसल, शबनम और सलीम एक दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन शबनम के परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। शबनम ने दो विषयों में मास्टर डिग्री ले रखी थी। वो एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका थी।


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