बैंकों में विनिवेशः एक्सपट्र्स की राय छोटे पीएसबी से शुरूआत कर सकती है सरकार
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में उन दो बैंकों का नाम नहीं लिया। इसके बाद से कयास लगने शुरू हो गए हैं कि आखिर कौन से बैंकों को निजीकरण की ओर धकेला जा सकता है। ऐसे में बैंकिंग सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार छोटे पीएसबी से इसकी शुरूआत कर सकती है।
बैंकिंग डेस्क। सोमवार को संसद में अपने बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आईडीबीआई के अलावा दो अन्य पब्लिक सेक्टर बैंक यानी सरकारी बैंकों में विनिवेश की कार्यवाही शुरू करने की बात कही है। इसे सीधे अर्थाें में बैंकों के निजीकरण के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि वित्त मंत्री ने अपने भाषण में उन दो बैंकों का नाम नहीं लिया। इसके बाद से कयास लगने शुरू हो गए हैं कि आखिर कौन से बैंकों को निजीकरण की ओर धकेला जा सकता है। ऐसे में बैंकिंग सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार छोटे पीएसबी से इसकी शुरूआत कर सकती है।
इस कड़ी में जो दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, उनमें पंजाब एंड सिंध बैंक और बैंक आॅफ महाराष्ट्र का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है। एक्सपट्र्स का कहना है कि ये ही दो बैंक ऐसे हैं जिनका कैपिटल सबसे कम है और बीते साल हुए मर्जर में इन दो बैंकों को बाहर रखा गया है। ऐसे में सरकार इन्हीं दो बैंकों में विनिवेश के जरिए निजीकरण की टेस्टिंग भी कर सकती है।
बता दें कि पंजाब एंड सिंध बैंक में भारत सरकार की 83 प्रतिशत की हिस्सेदारी वहीं बैंक आॅफ महाराष्ट्र में 92 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। ऐसे में यह देखना अभी बाकी है कि सरकार कितनी हिस्सेदारी अन्य निवेशकों को देती है। यहां विनिवेश को लेकर भी एक्सपट्र्स की राय जुदा है।
कुछ एक्सपट्र्स इसे सीधे तौर पर प्राइवेटाइजेशन के तौर पर देख रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि इसमें से सरकार सिर्फ अपनी हिस्सेदारी घटा रही है। इन पर नियंत्रण बाद में भी सरकार का ही रहेगा। आईडीबीआई बैंक को भी अभी पूरी तरह निजी हाथों में न देकर सरकार ने अपनी ही एजेंसी एलआईसी को सौंप रखा है।
हालांकि सरकार के इस कदम पर बैंक यूनियनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। चार बैंक यूनियन ने सरकार को विनिवेश से होने वाले नुकसान और इसके असर के बारे में लिखा है। साथ ही इस कदम पर प्रतिक्रिया झेलने की चेतावनी भी दी है।