सूर्यग्रहणः विज्ञान और ज्योतिष में ये समानताएं
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आज भारत सहित पूरा विश्व दो ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है। एक ओर जहां विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है वहीं दुनिया सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण की भी साक्षी बन रही है।
आज भारत सहित पूरा विश्व दो ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है। एक ओर जहां विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है वहीं दुनिया सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण की भी साक्षी बन रही है। यूं तो विश्व भर में ग्रहण को एक खगोलीय प्रक्रिया के रूप में ही देखा जाता है लेकिन भारत में इसका धार्मिक और ज्योतिष की दृष्टि से काफी महत्व है।
मान्यताओं की दृष्टि से भौतिकवादी और वैज्ञानिक ग्रहण को लेकर सनातनी विचारों का महत्व नहीं देते लेकिन गूढ़ अर्थ में ज्योतिष भी विज्ञान का अर्थ ही धारण किए है। उसे लोगों की समझ के अनुरूप आसान शब्दों में मान्यता का रूप दे दिया गया है।
विज्ञान कहता है
सूर्यग्रहण हो या चंद्र ग्रहण दोनों को लेकर विज्ञान की धारणा है कि जब सूर्य की परिक्रमा के दौरान जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो उस घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं। वहीं जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो यह घटना चंद्रग्रहण कहलाती है। चिकित्सकों के अनुसार यदि सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से न देखा जाए तो इसके कोई विशेष प्रभाव नहीं हैं।
ज्योतिषी कहते हैं
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के यूं एक सीध में आने के व्यापक असर होते हैं। द्वादश राशियों पर इसके प्रभाव का आकलन बताता है ग्रहण हर व्यक्ति के जीवन पर बड़ा प्रभाव डालता है। यही कारण है ज्योतिष में ग्रहण के दौरान बाहर निकलना, खाना, सोना या अन्य कार्य निषिद्ध माने गए हैं। मान्यता यह भी है कि ग्रहण के दौरान बना हुआ खाना भी खराब हो जाता है।
यह है समानता
विज्ञान और ज्योतिष दोनों ही मानते हैं कि पृथ्वी पर सारी इनर्जी का कारण सूर्य है। अतः सूर्य का प्रकाश न मिलने पर जनजीवन अस्तव्यस्त होना स्वाभाविक है। चिकित्सक कहते हैं कि सूर्यग्रहण के दौरान चंद्रमा द्वारा सूर्य को ढंक लेने से जो रिंग टाइप एरिया दिखाई देता है वहां से इतनी तेज मात्रा में प्रकाश आता है कि वह आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।
संभव है इसकी प्रकाश की मात्रा का अनुमान ज्योतिषी खाने और अन्य चीजों के खराब होने या अशुद्ध होने पर करते हैं। वहीं गौर करने वाली बात है कि ग्रहण के दौरान यह प्रतिबंध इसलिए भी लगाए गए हैं कि यदि व्यक्ति खाना खाएगा तो संभव है उसे खाना जुटाने के लिए बाहर भी जाना पड़े। यात्रा या अन्य कार्य करेगा तो भी बाहर निकले बिना संभव नहीं है ऐसे में उसकी आंखों से सूर्य का दर्शन होना स्वाभाविक है।