शिक्षक दिवस विशेषः अपने बच्चों का समय भी स्कूल के बच्चों के लिए देकर निभा रहीं कर्तव्य

टीम भारत दीप |

अन्य विद्यालयों के कायाकल्प की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं।
अन्य विद्यालयों के कायाकल्प की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं।

यदि शिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय दें तो बच्चे जरूर अपेक्षित परिणाम देंगे। उन्होंने अपने विद्यालय में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ना और बोलना सिखाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया।

एजूकेशन डेस्क। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस बार सम्मान प्राप्त करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग के 73 शिक्षकों में एक ऐसी शिक्षिका भी हैं जिन्होंने अपने स्कूल के बच्चों के लिए अपने निजी समय को भी देने में संकोच नहीं किया। आज वह अपने स्कूल के साथ-साथ जिले के अन्य स्कूलों के कायाकल्प में लगी हैं। 

एटा जिले के जलेसर ब्लाॅक में उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक प्रीती गौर की बेसिक शिक्षा विभाग में पहली नियुक्ति 1999 में प्राथमिक विद्यालय सोना में हुई। अपनी पहली नियुक्ति में उन्होंने मेहनत और लगन से स्कूल में छात्र संख्या को बढ़ाया। 

प्रीती गौर बताती हैं कि उनका स्कूल के बच्चों को सिखाने का क्रम बीच में न टूटे इसके लिए उन्होंने जलेसर में शादी को वरीयता दी। उनके पति भी जलेसर के कालेज में लेक्चरर हैं। नौकरी के शुरूआती दिनों से ही वे स्कूल को अधिक से अधिक समय देती रही हैं। 

उनका कहना है कि यदि शिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय दें तो बच्चे जरूर अपेक्षित परिणाम देंगे। उन्होंने अपने विद्यालय में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ना और बोलना सिखाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया। वर्तमान में वे बच्चों को पढ़ाई में आने वाली समस्याओं पर शोध भी कर रही हैं। 

परिवार को समय देने की बात पर प्रीती गौर स्वीकारती हैं कि उनका निजी समय भी अधिकतर स्कूल के कार्याें में ही बीतता है। हालांकि उनके पति और बच्चे उनके इस कार्य में हमेशा सहयोग ही करते हैं। मां का कार्य करते देखकर उनके बच्चे भी इसी प्रकार मेहनत करने के लिए प्रेरित होते हैं। 

प्रीती गौर की मेहनत और लगन का परिणाम ही है कि विभाग ने उन्हें जिले के स्टेट रिसोर्स ग्रुप में शामिल किया है। ऐसे में वे अपने विद्यालय के साथ-साथ अन्य विद्यालयों के कायाकल्प की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं। 


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