शिक्षक दिवस विशेषः पाना चाहते थे सरकारी पिस्टल, संयोग से शिक्षक बने और पाया राज्य पुरस्कार

टीम भारत दीप |
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प्रधानाध्यापक महेंद्र प्रताप सिंह का सम्मान करते मैनपुरी बीएसए विजय प्रताप सिंह।
प्रधानाध्यापक महेंद्र प्रताप सिंह का सम्मान करते मैनपुरी बीएसए विजय प्रताप सिंह।

महेंद्र प्रताप सिंह मैनपुरी जिले के घिरोर ब्लाॅक में प्राथमिक विद्यालय नाहिली-1 में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षक की नौकरी से इतर उनके व्यक्तिगत जीवन का संघर्ष भी अपने आप में अलग कहानी है।

एजूकेशन डेस्क। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस 5 सितंबर को साल 2019 के लिए राज्य अध्यापक पुरस्कार प्रदान किया। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर बेसिक शिक्षा विभाग के 73 शिक्षकों को यह सम्मान दिया जाएगा। इसमें मैनपुरी जिले से महेंद्र प्रताप सिंह का नाम भी शामिल है। 

महेंद्र प्रताप सिंह मैनपुरी जिले के घिरोर ब्लाॅक में प्राथमिक विद्यालय नाहिली-1 में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षक की नौकरी से इतर उनके व्यक्तिगत जीवन का संघर्ष भी अपने आप में अलग कहानी है। 

इंस्पेक्टर पिता के बेटे महेंद्र प्रताप सिंह कभी कमर पर सरकारी पिस्टल लगाने का ख्वाब रखते थे। इसीलिए साल 2003 में दोस्तों से रायशुमारी के बाद यूपी पीएसी में भर्ती हो गए। 2006 में पीएसी छोड़ यूपी पुलिस में वायरलेस आॅपरेटर बने लेकिन भाग्य ने उनके लिए ज्ञान के क्षेत्र की सेवा सोच रखी थी। 

6 माह आइसोलेशन 
साल 2007 में यूपी की मायावती सरकार ने पूर्व की मुलायम सरकार में पुलिस विभाग में हुई भर्तियां रद्द कर दी थीं। 41 हजार पुलिस के जवानों का बर्खास्त किया गया। इनमें से एक महेंद्र प्रताप सिंह भी थे। 

नौकरी गई तो लोगों के ताने भी मिले। महेंद्र ने इसकी परवाह किए बगैर 6 माह तक खुद को घर में ही आइसोलेट किया और आगे पढ़ाई में जुट गए। उसी साल उनका बीटीसी में प्रवेश हुआ 18 फरवरी 2009 को बदायूं जिले में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती मिली। हालांकि बाद में पुलिस की नौकरी के लिए भी बुलावा आया लेकिन वे यहीं रम गए। 


नौकरी में डिमोशन का संयोग
साल 2013 में महेंद्र प्रताप सिंह का स्थानांतरण बदायूं से मैनपुरी के लिए हुआ लेकिन मैनपुरी में जिलास्तरीय ट्रांसफर न हो पाने के कारण उनको प्राथमिक विद्यालय में ही ज्वाइन करना पड़ा। बदायूं में उनको उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रमोशन मिल चुका था। यह करियर में उनके लिए डिमोशन की तरह था लेकिन वे इससे भी निराश नहीं हुए। 

महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि साल 2016 में उनको घिरोर ब्लाॅक के प्राथमिक विद्यालय नाहिली प्रथम में बतौर प्रधानाध्यापक के रूप में तैनाती मिली। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

कुशल मैनेजमेंट और टीम वर्क 
महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्हें अपने विद्यालय के पूरे स्टाफ का हमेशा सहयोग मिला। विद्यालय की शिक्षिका निशंका जैन, प्रीती, रूबी गौतम व शिक्षामित्र गीता देवी, सरिता पाल, संजीव कुमार आदि ने विद्यालय समय से अतिरिक्त समय देकर स्कूल की उन्नति में योगदान दिया। 

 

उनकी गैरमौजूदगी में अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान बच्चे गणित, अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान में अव्वल पाए गए। नाहिली की एक छात्रा ने विद्या ज्ञान परीक्षा भी उत्तीर्ण की। पर्यावरण को लेकर स्कूल के प्रोजेक्ट को विप्रो कंपनी से नेशनल लेवल पर पुरस्कृत किया गया। इस दौरान उनके स्कूल के बच्चों को हवाई जहाज में यात्रा का मौका भी मिला। 

आईसीटी के प्रयोग के लिए विद्यालय की शिक्षिका निशंका जैन को प्रदेश स्तर पर पुस्कृत किया जा चुका है। जिलास्तर पर भी प्राथमिक विद्यालय नाहिली प्रथम ने हर क्षेत्र में कई पुरस्कार जीते हैं। 


स्कूल की बेहतरी के लिए हर प्रयास  


महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि शुरूआत में स्कूल की व्यवस्थाओं को लेकर उन्हें थोड़ा सख्त होना पड़ा।  स्कूल में लोग अक्सर गंदगी कर जाते थे, स्कूल भवन में बरात रूका करती थीं। ऐसे में उन्होंने स्कूल की दीवार पर लिख दिया कि विद्यालय भवन में बारात रोकना कानूनन अपराध है। 

पुलिस की नौकरी से मिले उनके अनुभव विद्यालय की व्यवस्थाओं को बनाने में काफी काम आए। हालांकि जब गांव के लोगों ने विद्यालय की बदली स्थिति देखी तो उनका सहयोग करना शुरू कर दिया। महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं अब उनका लक्ष्य विद्यालय में फर्नीचर की व्यवस्था करना है। इसके अलावा संकुल शिक्षक के रूप में उन्हें मिले 5 विद्यालयों को भी प्रेरक विद्यालय बनाना है। 


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