चित्रकूट में साढ़े पांच लाख के इनामी डकैत गौरी यादव को एसटीएफ ने मार गिराया
डकैत गौरी यादव का गैंग काफी कमजोर हो गया था। उसके गैंग में ज्यादा सदस्य नहीं बचे थे। गैंग में लगभग 6 या 7 सदस्य ही बचे थे। बारिश बंद होने का पुलिस इंतजार कर रही थी। पहले ही पुलिस ने दावा किया था कि बरसात के मौसम के बाद इसे ढेर कर दिया जाएगा।
चित्रकूट।चित्रकूट में बीहड़ को ठीकाना बनाने वाले खूंखार डकैत साढ़े पांच लाख के इनामियां दस्यु गौरी यादव को एसटीएफ ने शनिवार तड़के 3.30 बजे बहिलपुरवा के जंगल में मार गिराया। गोरी यादव के अंत के साथ चित्रकूट में खौफ के आखिरी अध्याय का अंत हो गया।
एसपी एसटीएफ हेमराज मीणा ने टेलीफोन से गौरी यादव के मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि की है।मालूम हो कि गौरी यादव यूपी और एमपी दोनों प्रदेश की पुलिस के सिरदर्द बना हुआ था।
एंकाउंटर के बाद गौरी के पास से एसटीएफ को एके-47 और भारी मात्रा में असलहा बरामद हुआ है।बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के माधव बांध के पास डकैतों और एसटीएफ टीम के बीच मुठभेड़ हुई। गौरतलब है कि 31 मार्च को इसी बांध के पास डाकू गौरी गैंग के 25000 के इनामी भालचंद को भी एसटीएफ और पुलिस ने मुठभेड़ कर मार गिराया था।
काफी समय से था अंदर ग्राउंड
चंबल के बीहड़ों में ददुआ और ठोकिया के बाद गौरी यादव बड़ा नाम बन चुका था। गौरी यादव काफी समय से अंडरग्राउंड चल रहा था। चार महीने पहले अचानक ही इसने चित्रकूट के जंगलों में फायरिंग कर दहशत फैला दी थी। करीब 20 साल पहले डकैती की दुनिया में प्रवेश करने वाले गौरी यादव ने 2005 में अपना अलग गैंग बनाया था।
मालूम हो कि गौरी यादव 2008 में ददुआ और कुछ दिन बाद ठोकिया के मारे जाने के बाद 2009 में गिरफ्तार हो गया था। बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया था।
चित्रकूट जिले के फरार डकैत गौरी यादव के सिर पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शासन ने इस साल जुलाई में संयुक्त रूप से साढ़े पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हत्या, अपहरण, फिरौती तथा सरकारी काम में बाधा डालने के लगभग 50 मामले दर्ज थे।
डकैत गौरी ने की थी दरोगा की हत्या
वह चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के बेलहरी गांव का रहने वाला था। उसकी तलाश में कई पुलिस टीमें लगी थीं। डकैत गौरी यादव ने मई 2013 में दिल्ली से मामले की जांच करने पहुंचे दारोगा की हत्या कर दी थी। इसके बाद मई 2016 में गोपालगंज में तीन ग्रामीणों को खंभे से बांधकर गोली मार दी थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी जावेद अहमद ने गौरी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था।
2005 में अलग गैंग बनाया
साल 2001 से गौरी डकैती सीख रहा था। गौरी ने साल 2005 में अपना अलग गैंग बनाकर वारदात को अंजाम देना शुरू किया। ददुआ व ठोकिया की मौत के बाद साल 2009 में बांदा पुलिस ने उसको गिरफ्तार किया। लेकिन, दो साल बाद वह जमानत पर बाहर आ गया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डकैत गौरी यादव का गैंग काफी कमजोर हो गया था। उसके गैंग में ज्यादा सदस्य नहीं बचे थे। गैंग में लगभग 6 या 7 सदस्य ही बचे थे। बारिश बंद होने का पुलिस इंतजार कर रही थी। पहले ही पुलिस ने दावा किया था कि बरसात के मौसम के बाद इसे ढेर कर दिया जाएगा।
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