आतंक को पनाह देना पड़ा महंगा, ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया पाकिस्तान
पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल ने पाकिस्तान से दो टूक कहा कि वह आतंकी गतिविधि में लिप्त लोगों को सख्त सजा दिलाए। इसके साथ ही वित्तीय प्रतिबंधों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में काम करना चाहिए। सोमवार को शुरू हुए सम्मेलन के निष्कर्षों पर एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने में गंभीर खामियां हैं।
नईदिल्ली। पाकिस्तान की इमरान सरकार इस समय दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही है।एक आर्थिक संकट, दूसरा विपक्ष ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पाकिस्तान की आर्थिक तंगी किसी से छिपी नही है।
ऐसे में उसे उम्मीद थी कि इस बैठक में उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से राहत मिल जाएगी उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकले का मौका मिलेगा, लेकिन उसके मनसुबे पर पानी फिर गया । अभी वह ग्रे-लिस्ट में जून तक रहेगा।
एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान के लिए बनाई गई 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना को वह पूरी तरह लागू करने में विफल रहा है। खासकर वह रणनीतिक रूप से अहम कमियों से निपटने में असफल रहा है। एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को सभी नामित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।
आतंकियों को कड़ी सजा दे पाक
पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल ने पाकिस्तान से दो टूक कहा कि वह आतंकी गतिविधि में लिप्त लोगों को सख्त सजा दिलाए। इसके साथ ही वित्तीय प्रतिबंधों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में काम करना चाहिए।
सोमवार को शुरू हुए सम्मेलन के निष्कर्षों पर एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने में गंभीर खामियां हैं। यही नहीं पाकिस्तान में आतंकी फंडिंग से निपटने के लिए प्रभावी व्यवस्था की कमी है।
पाकिस्तान नहीं पूरी कर रहा शर्त
पेरिस स्थित एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्यलेर ने कहा कि पाकिस्तान को दी गई समय सीमा पहले ही समाप्त हो गई है। ऐसे में इस्लामाबाद एफएटीएफ की चिंताओं को जितनी जल्दी हो सके दूर करने पर काम करे।
एफएटीएफ के पूर्ण सत्र के समापन के बाद कहा कि पाकिस्तान ने पहले की अपेक्षा सभी कार्रवाई योजनाओं में प्रगति की है और अब तक 27 में से 24 कार्रवाई पूरी कर ली हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से सूचीबद्ध आतंकियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करना अभी बाकी है।
आतंकियों पर सख्त कार्रवाई करें तब सोचेंगे
एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की अदालतों को आतंकवाद में शामिल लोगों को प्रभावी निर्णायक और समानुपातिक सजा देनी चाहिए। पाकिस्तान को तीन अधूरे कार्यों को पूरा करना होगा।
एक बार यह पूरा हो जाने के बाद एफएटीएफ जून में होने वाले अपने पूर्ण सत्र में उसके वर्तमान दर्जे पर निर्णय करेगा। एफएटीएफ की ओर से यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की 2002 में हुई हत्या के मुख्य आरोपित आतंकी उमर सईद शेख को हाल ही में बरी किया है।
आतंकियों को पालना बंद करें पाक
एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित किए गए आतंकियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। पाकिस्तान के पास आतंकी फंडिंग से निपटने के लिए एक प्रभावी प्रणाली होनी चाहिए।
पाकिस्तान यदि एकबार तीन अधूरे कार्य बिंदुओं को पूरा कर लेता है तो हम जून में होने वाली बैठक में उसकी ओर से उठाए गए कदमों का सत्यापन करके अपना फैसला देंगे। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अधूरे एक्शन प्वाइंट को जल्द से जल्द पूरा करना होगा।
पाक जून 2018 से झेल रहा प्रतिबंध
आपको बता दे कि एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था। इसके साथ ही पाकिस्तान की सरकार को धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए अपनी ओर से सौंपी गई कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था। हालांकि कोरोना महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी।
आतंकी फंडिंग से जुड़े मसलों पर एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में शामिल पाकिस्तान से पिछले साल अक्टूबर में सभी 27 बिंदुओं को लागू करने के लिए कहा गया था। लेकिन पाकिस्तान दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए दिखावे की कार्रवाई करता है।
पहले से थी ऐसे फैसले की उम्मीद
मालूम हो कि मसूद अजहर जैश-ए मोहम्मद का प्रमुख है जबकि हाफिज सईद जमात-उद-दावा की कमान संभाल रहा है। पाकिस्तान इन दोनों आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई से बचता रहा है।
वहीं भारत की ओर से बार बार इन आतंकियों को सौंपे जाने और इन्हें कानून के कटघरे तक लाने की मांग की जाती रही है। एफएटीएफ के पहले से ही ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं थी। अब पाकिस्तान को जून तक फिर प्रतिबंध झेलते हुए आतंक के खिलाफ सख्त कदम उठाने होगी।