7 साल के बजाए अब ताउम्र टीईटी पास का प्रमाण पत्र होगा मान्य, 2011 से प्रभावी मानी जाएगी ये व्यवस्था

टीम भारत दीप |

डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक बोले, टीईटी पास लाखों स्टूडेंट्स को होगा फायदा।
डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक बोले, टीईटी पास लाखों स्टूडेंट्स को होगा फायदा।

शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के योग्यता प्रमाण पत्र की वैधता अवधि को 7 के बजाय बढ़ाकर अब ताउम्र कर दिया है। शिक्षा मंत्रालय ने गुरूवार को इसका आदेश जारी किया है। बताया गया कि अब एक बार टीईटी पास करने पर प्रमाण पत्र जीवन भर के लिए मान्य रहेगा। शिक्षा मंत्रालय के इस फैसले से टीचर की नौकरी का सपना देख रहे लाखों युवाओं को लाभ होगा।

नई दिल्ली। टीचर बनने के इच्छुक नौजवानों को केंद्र सरकार ने बड़ी सौगात दी है। दरअसल सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के योग्यता प्रमाण पत्र की वैधता अवधि को 7 के बजाय बढ़ाकर अब ताउम्र कर दिया है। शिक्षा मंत्रालय ने गुरूवार को इसका आदेश जारी किया है। बताया गया कि अब एक बार टीईटी पास करने पर प्रमाण पत्र जीवन भर के लिए मान्य रहेगा।

शिक्षा मंत्रालय के इस फैसले से टीचर की नौकरी का सपना देख रहे लाखों युवाओं को लाभ होगा। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक जिन उम्मीदवारों या छात्रों के प्रमाण पत्र की सात वर्ष की अवधि पूरी हो गई है, उनके बारे में संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन टीईटी की वैधता अवधि के पुनर्निर्धारण करने या नया टीईटी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।

बताया गया कि यह व्यवस्था 2011 से प्रभावी होगी। केंदीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक संबंधित राज्य, केंद्र शासित प्रदेश उन उम्मीदवारों को नए टीईटी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे। जिनकी सात वर्ष की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है।

इस बाबत केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से शैक्षणिक क्षेत्र में नौकरी करने के इच्छुक उम्मीदवारों फायदा पहुंचेगा। बताया गया कि एक सुधारवादी कदम है। इससे बेरोजगारी में भी कमी आएगी। गौरतलब है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा पद्धति और नियमावली में बदलाव की कवायद लंबे अर्से से चल रही थी।

बता दें कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने शिक्षक पात्रता परीक्षा में परिवर्तन को लेकर रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी संभाल रखी थी। यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नवीन प्रावधानों के तहत किए गए हैं। वहीं यूपी में टीईटी कराने की जिम्मेदारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी को है।

परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी के मुताबिक सूबे में अब तक 6 लाख छात्र-छात्राएं टीईटी पास कर चुके हैं। बताया गया कि यदि राज्य सरकार केंद्र के इस नियम का पालन करती है तो उन्हें इसका लाभ होगा। एनसीटीई की गाइडलाइन में है कि अगर राज्य चाहें तो टीईटी का आयोजन कर सकते हैं।

वहीं एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में टीईटी पास कर चुके लाखों स्टूडेंट्स को इसका लाभ मिलेगा। बताते चलें कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 11 फरवरी 2011 को एक आदेश जारी किया था। जिसके तहत राज्य सरकार टीईटी का आयोजन करेंगी और टीईटी योग्यता प्रमाण पत्र की वैधता की अवधि परीक्षा पास होने की तिथि से सात वर्ष तक की होगी।

हालांकि बाद में सीटीईटी की वैधता अवधि पांच वर्ष कर दी गई थी। इसके बाद में राज्यों ने इसे पांच वर्ष तक वैध किया था।


 


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