किसान आन्दोलन पर फिर बीजेपी नेता ने उठाए सवाल, कह दी ये बड़ी बात
किसान संगठनों के विरोध के बीच आज भूख हड़ताल की बारी है। किसान राजधानी के नाकों पर अलग-अलग अनशन पर बैठे हैं। वहीं भाजपा की रणनीति भी जारी है। किसान आन्दोलन के बीच आज फिर भारतीय जनता पार्टी की ओर से आंदोलन को लेकर बड़ी बयानबाजी की गई है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर अभी भी किसानों का आंदोलन जारी है। कृषि आंदोलन का आज 19वां दिन है। किसान संगठनों के विरोध के बीच आज भूख हड़ताल की बारी है। किसान राजधानी के नाकों पर अलग-अलग अनशन पर बैठे हैं। वहीं भाजपा की रणनीति भी जारी है।
किसान आन्दोलन के बीच आज फिर भारतीय जनता पार्टी की ओर से आंदोलन को लेकर बड़ी बयानबाजी की गई है। इसके तहत बीजेपी नेता का कहना है कि पूरे आंदोलन में एक फीसदी भी किसान शामिल नहीं हैं। दरअसल भारतीय जनता पार्टी के महासचिव अरुण सिंह ने राजस्थान के जयपुर में कहा कि आंदोलन में एक फीसदी भी किसान नहीं हैं।
किसान भोले भाले हैं, लेकिन इनमें टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग घुस गए हैं। जिनके बारे में बात करना जरूरी है। बता दें कि अरुण सिंह जयपुर में हुई पार्टी की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। गौरतलब है कि बीजेपी की तरफ से लगातार किसानों को भड़को का आरोप लगाया जा रहा है।
बीजेपी के मुताबिक कुछ राजनीतिक दल और लेफ्ट संगठनों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है और हिंसा करने के लिए उन्हें भड़काया जा रहा है। बता दें कि हाल ही में आंदोलन के बीच किसानों ने अपने हाथों में शरजील इमाम, उमर खालिद समेत कुछ ऐसे एक्टिविस्टों की तस्वीरें ली हुई थीं।
जो कि इस वक्त जेल में बंद हैं। आंदोलन में इनकी रिहाई की मांग की गई थी, जिसके बाद से भाजपा किसान आन्दोलन को लेकर और अक्रामक हो गई और लगातार किसान आंदोलन पर सवाल खड़ा कर रही है। दरअसल षुरू से ही भाजपा किसान आन्दोलन को नकारने के मूड में लगी रही।
लेकिन लगातर बढ़ते किसानों के हुजूम के आगे मोदी सरकार ने किसानों को वार्ता के लिए बुलाया पर कई दौर की वार्ता के बात भी अभी तक बात बन रही है। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर जहां भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि ये किसानों के हित के लिए है।
किसान कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि इन कानूनों से किसान पूरी तहर बर्बाद हो जायेगा। किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र की तरफ से उनकी मांगें नहीं पूरी की जाती हैं, तब तक उनका आन्दोलन समाप्त नहीं होगा।