ब्रज में रंगों के त्योहार होली का आगाजः लड्डू होली खेलने घर से निकली महिलाओं की टोलियां
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लड्डू होली की परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि द्वापर युग में बरसाने की होली खेलने का न्यौते लेकर सखियों को नंदगांव भेजा गया था। राधारानी के पिता वृषभानुजी के न्यौते को कान्हा के पिता नंद बाबा ने स्वीकार किया और स्वीकृति का एक पत्र, एक पंडा, जिसको पुरोहित भी कहते हैं।
मथुरा। रंगों का त्योहार होली वैसे तो पूरे देश में मनाई जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा होली का उल्लास भगवान श्रीकृष्ण की नगरी ब्रज में होता है। यहां होली खेलने के लिए देश -दुनिया के लोग हर साल बड़ी संख्या में पहुंचते है।
होली का त्योहार भले ही इस साल 29 मार्च मनाया जाएगा, लेकिन अभी से ब्रज में होली का खुमार छाने लगा है। बरसाने की लट्ठमार होली देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। होली से एक सप्ताह पहले ब्रज में होली धूम शुरू हो जाती है। आइए आपकों बताते है कि ब्रज में कौन से दिन कौन सी होली खेली जाएगी।
लड्डू की होली
इस साल 22 मार्च को बरसाने की लड्डू की होली खेली जाएगी।सोमवार को सुबह से ही लड्डू की होली खेलने के लिए महिलाओं की टोली घर से निकल पड़ी है। लड्डू की होली में राधा रानी के गांव बरसाना में फाग आमंत्रण का उत्सव होगा और फिर लड्डू से होली खेली जाती है। इसके तहत श्रीराधा रानी मंदिर से श्रद्धालु लड्डू फेंककर होली खेलते हे।
द्वापर युग से चली आ रही हैं परंपरा
लड्डू होली की परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि द्वापर युग में बरसाने की होली खेलने का न्यौते लेकर सखियों को नंदगांव भेजा गया था। राधारानी के पिता वृषभानुजी के न्यौते को कान्हा के पिता नंद बाबा ने स्वीकार किया और स्वीकृति का एक पत्र, एक पंडा, जिसको पुरोहित भी कहते हैं।
उनके हाथ बरसाना भेजां बरसाने में वृषभानजी ने नंदगांव से आए पंडे का स्वागत किया और थाल में लड्डू खाने को दिए। इसी बीच बरसाने की गोपियों ने पंडे को गुलाल लगा दिया। और बस फिर क्या था पंडे ने भी गोपियों को लड्डूओं से मारना शुरू कर दिया। इस प्रकार लड्डू मार होली की परंपरा बरसाने में शुरू हुई। इस परंपरा को आज तक बरसाने और नंदगाव के लो निभाते चले आ रहे हैं।
रंगीली गली में लट्ठमार होली
ब्रज की होली में लट्ठमार होली का विशेष महत्व होती है। इस बार 23 मार्च को बरसाना में ही नंदगांव के हुरयारों संग लट्ठमार होली खेली जाएगी। इसके बाद अगले दिन नंद गांव में लट्ठमार होली खेली जाएगी।
फूलों की होली और रंगभरनी होली
मथुरा के श्री द्वारकाधीश मंदिर में फूलों की होली खेली जाएगी तो वहीं वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में 25 मार्च को रंगभरनी होली खेली जाएगी।
छड़ीमार होली
26 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन होगा।
गुलाल की होली
27 मार्च को वृंदावन में अबीर और गुलाल से होली खेली जाएगी। यहां वृंदावन में रहने वाली विधवाएं रंगों वाली होली खेलेंगी।
लट्ठमार की पूरी दुनिया में धूम
बरसाने की लट्ठमार होली न सिर्फ देश में मशहूर है बल्कि पूरी दुनिया में भी काफी प्रसिद्ध है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को बरसाने में लट्ठमार होली मनाई जाती है। नवमी के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है। यहां लोग रंगों, फूलों के अलावा डंडों से होली खेलने की परंपरा निभाते है।
नंद गांव के लोग होली खेलने जाते हैं बरसाने
बरसाना में राधा जी का जन्म हुआ था। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए बरसाना गांव जाते हैं। जहां पर लड़कियों और महिलाओं के संग लट्ठमार होली खेली जाती है।
इसके बाद फाल्गुन शुक्ल की दशमी तिथि पर रंगों की होली खेली होती है। आपकों बता दें कि यह परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना जाते हैं। बरसाना पहुंचकर वे राधा और उनकी सखियों संग होली खेलते हैं।
इस दौरान कृष्णजी राधा संग ठिठोली करते है जिसके बाद वहां की सारी गोपियां उन पर डंडे बरसाती है।लाठी और ढाल के साथ खेली जाती है होली गोपियों के डंडे की मार से बचने के लिए नंदगांव के ग्वाले लाठी और ढालों का सहारा लेते हैं।