आस्था का महापर्व छठ शुरू: भगवान भास्कर को मनाने 36 घंटे का निर्जल व्रत रखेंगे श्रद्धालु
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आस्था का महापर्व आज से शुरू हो रहा है। भगवान सूर्य की उपासना का त्योहार छठ नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया। कार्तिक शुक्लपक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर व्रत का समापन शुक्लपक्ष की सप्तमी 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य से होगा।
जौनपुर। आस्था का महापर्व आज से शुरू हो रहा है। भगवान सूर्य की उपासना का त्योहार छठ नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया।
कार्तिक शुक्लपक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर व्रत का समापन शुक्लपक्ष की सप्तमी 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य से होगा। छठ पूजा पर इस बार ग्रह नक्षत्रों का बहुत ही शुभ योग बन रहा है।
इस योग में पूजन से सुख-शांति बनी रहेगी और अभीष्ट की प्राप्ति होगी। ज्योतिषाचार्य शिवेंद्र मोहन ने बताया कि कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी 17 नवंबर को अर्द्धरात्रि के बाद पश्चात 1:18 बजे लग गई है।
18 नवंबर से नहाय खाय से महापर्व शुरू हो गया है। खरना 19 नवंबर को होगा। 20 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।वहीं 21 नवंबर को प्रात:काल उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पारण किया जाएगा।
चार दिवसीय महापर्व पर सूर्यदेव के साथ माता षष्ठी देवी की भी पूजा-अर्चना का विधान है। छठ पूजा की शुरुआत रवियोग से हो रही है। नहाय खाय रवियोग में हो रहा है।
इसके साथ ही भगवान सूर्य को अर्घ्य द्विपुष्कर योग में दिया जाएगा। इस योग में पूजा करने से परिवार में सुख, शांति, धन-समृद्धि बनी रहती है। नहाय खाय के साथ लौकी की सब्जी, चने की दाल तथा हाथ की चक्की से पीसे हुए गेहूं के आटे की पूड़ियां ग्रहण की जाती हैं।
19 नवंबर को शाम को स्नान के बाद नए चावल से बने गुड़ की खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं और वितरित भी किया जाता है। डाला छठ व्रत का मुख्य प्रसाद ठेकुआ है। यह गेहूं का आटा, गुड़ और देशी घी से बनाया जाता है। प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पकाया जाता है।