नवरात्र का तीसरा दिन: हर भय से मिलेगी मुक्ति, मां चन्द्रघंटा की यूं करें आराधना
मां चन्द्रघंटा का यह स्वरूप हर प्रकार के भय से मुक्ति व साहस प्रदान करने वाला होता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि यदि मन में किसी तरह का भी कोई भय व्याप्त रहता है तो आप मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन करें। नवरात्र का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने वाला होता है।
धर्म डेस्क। गुरूवार को नवरात्र का तीसरा दिन है। इस दिन मां के नौ स्वरूपों में से एक मां चन्द्रघंटा की पूजा—अर्चना की जाती है। दरअसल कोरोना संकट के बीच भी नवरात्र उत्सव को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है। चारों ओर नवरात्र उत्सव को लेकर धूम मची हुई है।
इस बीच बुधवार को चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा हुई। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, सदाचार, संयम आदि की वृद्धि होती है। कोरोना के प्रकोप के कारण बुधवार को भी अधिकांश भक्तों ने घर पर रहकर ही माता की आराधना की।
इस बीच कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए मंदिरों में भी मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा—अर्चना कर भक्तों ने मां का आर्शिवाद प्राप्त किया। वहीं नवरात्र के तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा की पूजा-अर्जना की जाती है। पुरोहित ज्वाला मिश्र बताते हैं कि देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र नजर आता है।
यही वजह है कि माता के भक्त उन्हें चन्द्रघंटा कहकर पुकारते हैं। मां चंद्रघंटा के स्वरूप के अनुसार मां का वाहन सिंह है। 10 भुजाएं, 3 आंखें, 8 हाथों में खड्ग, बाण आदि अस्त्र-शस्त्र हैं। इसके अलावा मां चन्द्रघंटा अपने दो हाथों से अपने भक्तों को आशीष देतीं नजर आती हैं।
नवरात्र के तीसरे दिन के महत्व के बारे में पुरोहित ज्वाला मिश्र बताते हैं कि मां चन्द्रघंटा का यह स्वरूप हर प्रकार के भय से मुक्ति व साहस प्रदान करने वाला होता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि यदि मन में किसी तरह का भी कोई भय व्याप्त रहता है तो आप मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन करें।
नवरात्र का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने वाला होता है। मां के चंद्रघंटा स्वरुप की मुद्रा युद्ध-मुद्रा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां चंद्रघंटा का संबंध मंगल ग्रह से माना जाता है। वहीं पूजन विधि का जिक्र करते हुए पुरोहित ज्वाला मिश्र बताते हैं कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन शान्त होता है और घर में भी शांति आती है।
व्यक्ति के साथ उसके परिवार का भी कल्याण होता है। पुरोहित जी बताते हैं कि मां की पूजा करते समय उनको लाल फूल अर्पित करें। इसके साथ मां को लाल सेब और गुड़ भी चढाएं। पुरोहित ज्वाला मिश्र बताते हैं कि शत्रुओं पर विजय पाने के लिए मां की पूजा करते समय घंटा बजाकर उनकी पूजा करें।
इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने से बड़े से बड़े दुख से मुक्ति मिल जाती है। देवी पूजन के बारे में बताते हुए पुरोहित जी बताते हैं कि तुलसी पत्ती न चढ़ाएं, माता की तस्वीर या मूर्ति में शेर दहाड़ता हुआ नहीं होना चाहिए, देवी पर दूर्वा नहीं चढ़ाएं, जवारे बोए हैं और अखंड ज्योति जलाई है तो घर खाली न छोड़ें।
उन्होंने बताया कि मूर्ति या तस्वीर के बाई ओर दीपक रखें। पुरोहित जी बताते हैं कि देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। उन्होंने बताया कि मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है।
उन्होंने बताया कि मां चन्द्रघंटा को सफेद चीज का भोग जैसे दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मां चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
ये है माता-पूजन का मंत्र-
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।