यह कैसी व्यवस्था: रात को पत्नी को किया भर्ती, सुबह बताया फरार, तीन दिन बाद मिला शव

टीम भारत दीप |

इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं ।
इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं ।

अगले दिन सुबह जब वे अपनी पत्नी की तबीयत के बारे में पूछने आए तो पता चला कि कागजों पर उनका नाम ही नहीं है।इसके बाद परिजन परेशान होकर महिला को खोजने लगे, लेकिन उसका कही कुछ पता नहीं चला। इसी दौरान तीन दिन बाद महिला का शव मोर्चरी में रखा मिला ।

नईदिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से अस्पतालों की व्यवस्थाएं पटरी से उतर चुकी है। कभी जिंद को मृत बताकर किसी और शव परिजनों को सौंप ​दे रहे है तो कभी मृत को फरार बता रहे है।

जहां एक तरफ लोग अस्पताल में भर्ती होने के लिए संघर्ष कर रहे है, वहीं अस्पताल प्रबंधन भी लापरवाही जमकर बरत रहा है। ताजा मामला दिल्ली के जीटीबी अस्पताल से सामने आया है।

यहां भर्ती एक संक्रमित महिला को अस्पताल वाले फरार घोषित कर दिया, जबकि तीन दिन बाद उसकी लाश अस्पताल में मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन जवाब तक नहीं दे पा रहा है। 

जानकारी के अनुसार झिलमिल इलाके की रहने वाली 53 वर्षीय सुमन वर्मा 15 अप्रैल को संक्रमित होने के बाद जीटीबी अस्पताल में भर्ती हुई थीं। उनके पति कमल वर्मा ने ही बताया कि उन्होंने अंतिम बार अपनी पत्नी को शुक्रवार रात डेढ़ बजे अस्पताल में देखा था।

अगले दिन सुबह जब वे अपनी पत्नी की तबीयत के बारे में पूछने आए तो पता चला कि कागजों पर उनका नाम ही नहीं है।इसके बाद परिजन परेशान होकर महिला को खोजने लगे, लेकिन उसका कही कुछ पता नहीं चला। इसी दौरान तीन दिन बाद महिला का शव मोर्चरी में रखा मिला । महिला का शव मिलने के बाद सबके होश उड़ गए। 

लावारिस हालत में पड़ा था शव

अस्पताल की मोर्चरी में दो अन्य शवों के बीच रखे महिला मरीज के शव की पहचान जब उनके परिजनों ने की तो होश ही उड़ गए। अस्पताल जिस कोरोना संक्रमित मरीज को फरार बता रहा था। दरअसल उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी और शव मोर्चरी के उस कोने में डाल दिया, जिसे लावारिस शवों के लिए रखा गया है।

इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं लेकिन अब तक इस बड़ी लापरवाही की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है। पीड़ित परिवार ने जीटीबी एन्क्लेव थाने में अस्पताल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है।

रात में भर्ती किया, सुबह बताया लापता

मृत महिला सुमन वर्मा के पति ने बताया कि उन्होंने अंतिम बार अपनी पत्नी को शुक्रवार रात को उस समय देखा था,जब उसे शुक्रवार रात को भर्ती किया जा रहा था।

अगले दिन श​निवार सुबह जब वे अपनी पत्नी की तबीयत के बारे में पूछने आए तो पता चला कि कागजों पर उनका नाम ही नहीं है। यह सुन वह घबरा गए। शाम तक अस्पताल में कभी इधर तो कभी उधर विभागों के चक्कर लगाने के बाद उनसे कहा गया कि शायद आपकी पत्नी अस्पताल से भाग गई हैं।
यह सुन कमल वर्मा का गुस्सा भी सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने पूछा कि आखिर अस्पताल से कैसे कोई भाग सकता है और उनकी पत्नी को भागने की क्या जरूरत है। संक्रमित मरीज को कोविड वार्ड में रखा जाता है तो ऐसे कोई मरीज कैसे भाग सकता है।

बहरहाल इन सवाल के जवाब उन्हें नहीं मिले। अगले दिन रविवार को भी कमल वर्मा अस्पताल में कभी स्वास्थ्य कर्मचारी तो कभी एंबुलेंस वाले और बाकी तीमारदारों को फोटो दिखाते हुए पूछते रहे, भाई साहब, ये मेरी पत्नी हैं। क्या आपने इन्हें कहीं देखा है, यहीं अस्पताल में ही भर्ती कराया था। उसके बाद भी सुमन का कुछ पता नहीं चला।

तीसरे दिन मिला पत्नी का शव

दो दिन से अपनी पत्नी की तलाश करने वाले कमल वर्मा तीसरे दिन सोमवार को भी अस्पताल में अपनी पत्नी का फोटो दिखाते हुए पूछताछ कर रहे थे। इसी बीच उन्हें पता चला कि मोर्चरी में तीन शव हैं जिनकी पहचान नहीं हुई है।

वहां एक बार देख लीजिए। कोरोना शवों को देखना भी संभव नहीं है। ऐसे में कमल वर्मा ने काफी प्रयास के बाद जब वहां जाकर देखा तो उनके होश ही उड़ गए। पत्नी सुमन वर्मा का शव पीपीई किट में लिपटा हुआ उनके सामने था।

पत्नी का शव देखकर वह रोने लगे,लेकिन अस्पताल प्रबंधन अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं हुअ। अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित की शिकायत मिलने के बाद जांच कमेटी गठित की थी।

काफी पूछताछ के बाद मोर्चरी में मरीज सुमन का शव मिला। जबकि कमल वर्मा का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन झूठ बोल रहा है। किसी ने भी जांच नहीं की थी। वह खुद दो दिन अस्पताल में भूखे प्यासे खोज  रहे थे और आखिर में उन्होंने खुद अपनी पत्नी की तलाश पूरी की। 


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