हरिद्वार में गंगाबंदी के दौरान सोने चांदी के सिक्के निकालने जुटे हजारों लोग

टीम भारत दीप |

श्रद्धालु गंगा के प्रवाह में सिक्के समेत अन्य सामान अर्पित करते है।
श्रद्धालु गंगा के प्रवाह में सिक्के समेत अन्य सामान अर्पित करते है।

शुक्रवार सुबह से लोग गंगा का प्रवाह कम यानि गंगा बंदी के बाद से ही श्रद्धालुओं द्वारा मां को अर्पित किए गए सिक्के और अन्य सामान की तलाश में कीचड़ छानते नजर आए।

हरिद्वार। वैसे तो हरिद्वार में लोगों की भीड़ रोज गंगा में स्नान के लिए दिखती है, शुक्रवार को  कुछ और ही नजारा दिखाई दे रहा था।सुबह से लोग गंगा का प्रवाह कम यानि गंगा बंदी के बाद से ही श्रद्धालुओं द्वारा मां को अर्पित किए गए सिक्के और अन्य सामान की तलाश में कीचड़ छानते नजर आए। 

मालूम हो कि लोग रोज मां गंगा की धारा में स्नान और आरती में शामिल होने के लिए देश के कोने—कोने से हरिद्वार पहुंचते है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा के प्रवाह में सिक्के समेत अन्य सामान अर्पित करते है। इन्हीं सिक्कों को निकालने के लिए हर साल गंगा बंदी के दौरान लोगों का हुजूम पहुंचता है।

 हर साल गंगा की सफाई के लिए गंगा का प्रवाह बंद कर सफाई की जाती है।  गंगा बंदी होते ही शुक्रवार तड़के से ही हजारों गरीब लोग गंगा घाटों पर उतर गए। दिनभर लोग यहां सोने, चांदी की मूर्ति और सिक्के तलाशते रहे।

एक व्यक्ति को गणेश की चांदी की मूर्ति भी मिली। शहर के बैरागी कैंप, खड़खड़ी, ब्रह्मपुरी और रोड़ीबेलवाला से महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग घाटों पर उतर जाते हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने सिक्के भी पाए।इस दौरान एक व्यक्ति को गंगा में गणेश की चांदी की मूर्ति मिली। मूर्ति मिलने की घटना लोगों में चर्चा का विषय बनी रही। 

हर साल गंगा बंदी के बाद घाटों पर जगह जगह गंदगी के अंबार दिखाई देते थे। रेलिंग और चैनल पर कपड़े फंसे रहते थे।इस बार काफी कम नजर आए। मालूम हो कि इस साल कोरोना संक्रमण के चलते चारधाम यात्रा और सावन की कांवड़ यात्रा नहीं हुई थी। चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जब यहां स्नान करते हैं तो अपने पुराने कपड़ों को गंगा में बहा देते हैं। 


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