चुनावी राज्यों में भी सुनाई देगी किसान आन्दोलन की धमक, तेज होगा आन्दोलन, बनी ये रणनीति
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केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आन्दोलन को अब और अधिक धार देने की तैयारी है। वहीं अब चुनावी राज्यों में भी इसकी धमक गूंजेंगी। इसको लेकर भी रणनीति तैयार की जा रही है।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आन्दोलन को अब और अधिक धार देने की तैयारी है। वहीं अब चुनावी राज्यों में भी इसकी धमक गूंजेंगी। इसको लेकर भी रणनीति तैयार की जा रही है। कहा जा रहा है कि जब तक सरकार को आन्दोलन से अपने वोट खिसकते नहीं दिखेंगे, तब तक वह आन्दोलन कर रहे किसानों की सुध नहीं लेगी।
दरअसल संयुक्त किसान मोर्च ने बयान जारी कर कहा है कि हमारे किसान मोर्चा की ओर से चुनावी राज्यों में टीमें भेजी जाएगी। किसान मोर्चा के नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि टीम के सदस्य किसी पार्टी को अपना समर्थन नहीं देंगे लेकिन लोगों के बीच जाकर यह समझाएंगे कि वैसे उम्मीदवारों को वोट करें जो बीजेपी को हरा सकता है।
बलबीर राजेवाल के मुताबिक किसान मोर्चा की ओर से चुनावी राज्यों में टीम भेजी जाएगी। टीम के सदस्य वहां पहुंचकर किसी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे लेकिन लोगों को यह समझाएंगे कि आप उसी उम्मीदवार को वोट दें जो बीजेपी को हरा सके। टीम के सदस्य लोगों को यह समझाएंगे कि किसानों के प्रति मोदी सरकार का क्या रुख हैं।
वहीं आन्दोलन को धार देने की तैयारी के क्रम में बताया गया कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान छह मार्च को सुबह 11 बजे से केएमपी एक्सप्रेसवे को पांच घंटे के लिए बाधित करेंगे। किसान सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक केएमपी एक्सप्रेसवे पर अलग-अलग जगहों पर सड़क बंद रखेंगे। वहीं किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि 10 ट्रेड संगठनों के साथ हमारी मीटिंग हुई है।
सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों का जो निजीकरण कर रही है उसके विरोध में 15 मार्च को पूरे देश के मज़दूर और कर्मचारी सड़क पर उतरेंगे और रेलवे स्टेशनों के बाहर जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे।
जानकारी के मुताबिक किसान मोर्चा की ओर से 12 मार्च को कोलकाता में किसानों की ओर से एक रैली को संबोधित किया जाएगा और इसके बाद किसान नेता सभी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के खिलाफ किसानों की चिट्ठी लेकर जाएंगे और उनसे मुलाकात करेंगे।