यूक्रेन से सकुशल तीन बच्चे लौटे आगरा, 30 और छात्र-छात्राओं की जल्द होगी वतन वापसी

टीम भारत दीप |

साक्षी ने बताया यूक्रेन में तिरंगा हमारी ढाल बना।
साक्षी ने बताया यूक्रेन में तिरंगा हमारी ढाल बना।

जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह का कहना है कि सभी छात्रों को सकुशल वापस लाने के प्रयास जारी हैं। जिला आपदा विशेषज्ञ प्रवीन किशोर का कहना है कि आगरा के प्रत्येक छात्र व उनके परिजनों से पल-पल की खबर ले रहे हैं। रविवार को 17 परिजनों ने अपने बच्चों के बारे में कंट्रोल रूम पर सूचित किया है।

आगर। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध की वजह से बहुत से हिन्दुस्तानी बच्चे वहां फंस गए है। ताजनगरी आगरा के 30 से ज्यादा बच्चे फंसे हुए थे जिनमें से तीन छात्र रविवार को सकुशल अपने घर पहुंच गए। तीन बच्चों के लौटने से उनके घर में खुशियां छा गई।

घर पहुंचते ही दयालबाग निवासी साक्षी सिंह, ट्रांस यमुना निवासी यश यादव और नगला पदी निवासी उदिशा गुप्ता की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। यूक्रेन का मंजर भुलाकर तीनों परिवार के साथ खुशियां मना रहे हैं।मालूम हो कि तीनों बच्चे मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे। जहां रूस से युद्ध शुरू होने के बाद वे फंस गए। यूक्रेन में अभी आगरा के 30 छात्र-छात्राएं फंसे हुए हैं। इन्हें सुरक्षित वापस निकालने के प्रयास जारी हैं। 

प्रशासन कर रहा पूरा प्रयास  

जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह का कहना है कि सभी छात्रों को सकुशल वापस लाने के प्रयास जारी हैं। जिला आपदा विशेषज्ञ प्रवीन किशोर का कहना है कि आगरा के प्रत्येक छात्र व उनके परिजनों से पल-पल की खबर ले रहे हैं। रविवार को 17 परिजनों ने अपने बच्चों के बारे में कंट्रोल रूम पर सूचित किया है। जिनमें तीन बच्चे लौट आए हैं। बाकी 30 बच्चों बॉर्डर पहुंच गए हैं। अगली फ्लाइट से उन्हें भी स्वदेश वापस लाया जाएगा।

तिरंगा बना हमारी ढाल

यूक्रेन में फंसी साक्षी पहली छात्रा है जो आगरा लौटी है। यूक्रेन के उजरेत शहर में स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा 20 वर्षीय साक्षी ने  बताया कि भारतीय होने के क्या मायने हैं ये मुझे यूक्रेन में पता चला। जहां तिरंगा हमारी ढाल बना। मैंने राष्ट्रीय ध्वज का वास्तविक महत्व समझा। जितना सम्मान भारतीय होने पर यहां नहीं मिलता उससे अधिक मुझे युद्धग्रस्त यूक्रेन में महसूस हुआ। 

यूक्रेन से लौटी साक्षी सिकरवार ने बताया कि मैं वहां हॉस्टल में रहती थी। 22 फरवरी की रात में रूस ने कीव में हमला किया। सुबह जब देखा तो आसमान में धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा था। वो मंजर दिल को दहलाने वाला था। बहुत डर लग रहा था।

बहुत ठंड थी। मुझे लगा कि हम यहां से नहीं लौट पाएंगे। तापमान में माइनस में था। कीव में मेरे दोस्त भी फंसे हुए हैं। साक्षी के पिता कृष्णवीर सिंह सिकरवार और मां शशि ने बेटी की सकुशल घर वापसी पर केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की। 

बुडापेस्ट के रास्ते लौटे वतन

यूक्रेन के उजरोत शहर में फंसा ट्रांस यमुना कॉलोनी निवासी यश यादव रविवार को हंगरी से बुडापेस्ट के रास्ते दिल्ली होते हुए शाम करीब चार बजे घर पहुंचे। घर में खुशियां छा गईं।

तीन दिन से यश की मां मधु व पिता अनिल कुमार काफी परेशान थे, बेटे को देखकर उनकी चिंता दूर हो गई यश ने बताया कि वह यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में रह रहे थे, जबकि हमले कीव व पूर्वी हिस्से में हो रहे थे। दूतावास से संपर्क करने पर मदद मुहैया हुई। जिसके बाद वह घर आ सके।

दयालबाग स्थित नगला पदी निवासी उदिशा गुप्ता यूक्रेन से रविवार शाम सात बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरी। जहां उन्होंने यूक्रेन के मुश्किल हालातों का जिक्र किया। सकुशल घर वापसी के लिए भारत सरकार व पीएम मोदी को धन्यवाद दिया। रोमानिया से फ्लाइट में बैठते समय भेजे वीडियो संदेश उन्होंने कहा कि वहां उन्हें पांच किमी पैदल चलना पड़ा फिर रोमानिया बॉर्डर पार करने के दौरान चार घंटे फंसे रहना पड़ा।

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