यूपी धर्मांतरण के तीन नए खिलाड़ी पकड़े, कोडवर्ड से करते थे बातचीत, 7 में से 6 कोडवर्ड हुआ डिकोड
अपडेट हुआ है:
मूक बधिर बच्चों के लिए साइन लैंग्वेज में बने वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड किए जाते थे। अगर कोई वीडियो को लाइक करता था तो, उसको कोर्ड वर्ड में उस वीडियो के चैट बॉक्स में अल्लाह के बंदे उर्दू में लिखा संदेश मिलता था। इसके वीडियो को लाइक करने वालों से सिंडिकेट से जुड़े लोग संपर्क करते थे।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर रोज नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे है। अब यूपी एटीएस को कुछ ऐसे कोड वर्ड मिले है, जिनके सहारे लोगों का धर्मांतरण किया जाता था। पकड़े गए आरोपी मौलानाओं से पूछताछ में यूपी में धर्मांतरण के एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा किया है।
एटीएस ने बताया कि सिंडिकेट के लिए मूक बधिरों का साइन लैंग्वेज बड़ा हथियार था। इस तरह वो इशारों में अपने मकसद को लोगों तक पहुंचाते थे। साइन लैंग्वेज होने के कारण अन्य लोगाों को इसकी भनक तक नहीं लगती थी। धर्म बदलने के इस खेल में सामान्य बोल-चाल की भाषा के बजाय कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। एटीएस को 7 कोडवर्ड मिले जिसमें से 6 को डिकोड करके उसका मतलब पता कर लिया गया है।
इन कोड वर्ड को किया डिकोड
अल्लाह के बंदे: मूक बधिर बच्चों के लिए साइन लैंग्वेज में बने वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड किए जाते थे। अगर कोई वीडियो को लाइक करता था तो, उसको कोर्ड वर्ड में उस वीडियो के चैट बॉक्स में अल्लाह के बंदे उर्दू में लिखा संदेश मिलता था। इसके वीडियो को लाइक करने वालों से सिंडिकेट से जुड़े लोग संपर्क करते थे। हिंदू से मुस्लिम बने कानपुर के आदित्य की मां ने भी एटीएस को यही जानकारी दी थी।
बर्थडे डिजिट: धर्मांतरण के लिए चिह्नित लोगों के नाम न लिखकर उनके मोबाइल नंबर, जन्मतिथि के कुछ डिजिट से उनकी लिस्टिंग की जाती थी। धर्म परिवर्तन को (रिवर्ट बैक टू इस्लाम प्रोग्राम) कोड वर्ड में कहते थे। नोएडा डेफ सोसायटी के जिस टीचर के माध्यम से यह गिरोह बच्चों को टारगेट कर रहा था। उसका काम ऐसे बच्चों की पहचान करनी होती थी, जो आसानी से इनके जाल में फंस सकें।
रहमत: जांच में पता चला कि विदेशी फंडिंग पर इसके साथ उर्दू में एक मैसेज आता था (रहमत)। यह फंडिंग के लिए इनका कोडवर्ड था।
मुतक्की: इस शब्द का प्रयोग छात्रों के लिए किया जाता था। यूपी एटीएस ने जब इस कोड को डिकोड किया तो उन्हें पता चला कि, मुतक्की वो शख्स होता है जो हक को और सच को तलाश करने वाला होता है। छात्रों को इस्लाम पढ़ाने से पहले इस तरह की भावना इसी कोड वर्ड से उनके मन मे भरी जाती थी।
सलात: इस शब्द का प्रयोग हर तकरीर में किया जाता था। यह शब्द वो व्यक्ति बार-बार प्रयोग करता था जिसको इस्लाम में धर्मांतरण कराने की जिम्मेदारी दी जाती थी। एटीएस ने जब इस कोड को ब्रेक किया तो, पता चला कि ये नमाज़ के लिए कहा जाने वाला शब्द है। इस शब्द का अर्थ -नमाज़ को नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा इस प्रथा का पालन ना करना या त्याग देना पाप होना बताया गया है।
कौम का कलंक: एटीएस को कौम का कलंक कोडवर्ड भी मिला है जिसका अभी तक मतलब नहीं पता चल पाया है। एटीएस इसे डिकोड करने में जुटी है।
5 आरोपी चढ़े एटीएस के हत्थे
यूपी में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने के मामले में अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बीते 21 जून को मौलाना जहांगीर और मौलाना उमर गौतम को एटीएस ने लखनऊ से पकड़ा था। इसके बाद सोमवार को यूपी एटीएस ने महाराष्ट्र के बीड से इरफान, दिल्ली से राहुल भोला और गुरुग्राम से मन्नू यादव से दबोचा।
मौलाना उमर गौतम और जहांगीर, इरफान खान के साथ मिलकर लालच देकर धर्मांतरण करवाते थे। मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान पुत्र राजीव यादव भी मूक बधिर है। इसने ही कानपुर के आदित्य गुप्ता का धर्मांतरण कराया था।
अंतरराष्ट्रीय संगठन से कनेक्शन
यूपी एटीएस का दावा है कि दिल्ली स्थित उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावाह सेंटर (आइडीसी) का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धर्म परिवर्तन कराने वाले बिलाल फिलिप से गहरा कनेक्शन है। उमर सीधे तौर पर बिलाल फिलिप से भी जुड़ा था।
सूत्रों का कहना है कि बिलाल फिलिप देश में अवैध धर्मांतरण कराने वाले जाकिर नाइक के भी संपर्क में रहा है। जांच एजेंसियों के डर से जाकिर नाइक विदेश भाग चुका है। एटीएस की जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। उसके निशाने पर इस गिरोह के कई और सक्रिय सदस्य भी हैं।
यहां से पकड़े गए धर्मांतरण के नए खिलाड़ी
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि एटीएस ने हरियाणा के गुरुग्राम निवासी मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, महाराष्ट्र के बीड़ निवासी इरफान शेख व दिल्ली के उत्तमनगर निवासी राहुल भोला को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से तीन लैपटाप, कई बैंकों की चेकबुक, पासबुक व अन्य दस्तावेज मिले हैं।
इरफान शेख दिल्ली में केंद्रीय बाल कल्याण मंत्रालय में इंटरप्रेटर है। वह मूकबधिरों को प्रलोभन देकर इस्लाम कबूल कराने में मदद करता था। राहुल भोला और अन्नू यादव भी मूक बधिर हैं और वे बाकी मूक-बधिर बच्चों को धर्मांतरण करने के लिए इस रैकेट की मदद करते थे।
मुजफ्फरपुर का कनेक्शन
कानपुर में हुए धर्मांतरण के मामले का बिहार के मुजफ्फरपुर का कनेक्शन सामने आया। मुजफ्फरपुर में भी जांच शुरू हो गई है। यूपी एटीएस के पदाधिकारी ने मुजफ्फरपुर के हथौड़ी थानाक्षेत्र निवासी एक युवक रागिब असलम को तलब किया। हथौड़ी पंचायत के मुखिया इफ्तकार आलम बेटे को रागिब असलम को थाने लेकर पहुंचे।
एटीएस ने रागिब से पूछताछ की गई। एटीएस ने रागिब का मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिया है। एटीएस ने मुखिया और उसके पुत्र को नोटिस दिया है। तीन दिन के अंदर नोएडा स्थित एटीएस के कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा है। रागिब ने मूक बधिर विद्यालय से पढ़ाई की है।
पिता के मुताबिक, रागिब नें दसवीं तक की पढ़ाई पटना के आशादीप मूक बधिर स्कूल से की। उसके बाद आईकॉम की पढ़ाई इंदौर के एक स्कूल से की। उसके बाद वो नोयडा स्थित डीफ एंड डंब स्कूल गया।
जहां से उसने हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ कम्प्यूटर की पढ़ाई की। वहीं से रागिब का सेलेक्शन कानपुर के ज्योति मूक बधिर स्कूल के लिए बतौर टीचर किया गया। रागिब साल 2018-19 में वहां टीचर था। उसी स्कूल के छात्र आदित्य गुप्ता ने धर्म परिवर्तन करके इस्लाम को स्वीकार कर लिया है।
इसे भी पढ़ें...