रामभक्तों का विश्वास जीतने श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने वेबसाइट पर अपलोड किया जमीन सौदा का ब्यौरा
ट्रस्ट को घेरते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। करोड़ों रामभक्तों के मन में भी इस प्रकरण की सच्चाई जानने को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। मालूम हो कि सबसे पहले सपा नेता द्वारा कथित रूप से जमीन खरीदी में घोटाले का आरोप लगाया था, इसके बाद देश भर में ट्रस्ट के खिलाफ गुस्सा फैल गया है।
अयोध्या। अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन के कथित घोटाले में सफाई देने के उद्देश्य से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपनी वेबसाइट पर जमीन खरीद से जुड़ा पूरा ब्योरा अपलोड किया है।
इसका उद्देश्य है कि अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरे देश के रामभक्त जमीन प्रकरण की सच्चाई को परख सके। ट्रस्ट ने रामभक्तों को जमीन प्रकरण से जुड़े सभी पहलूओं की जानकारी देने की मंशा से ही साइट पर अंग्रेजी में पूरी कहानी बताई है।
ट्रस्ट का दावा है कि जमीन खरीद में पूरी पारदर्शिता बरती गई है, इससे पहले भी ट्रस्ट ने जमीन, मठ व आश्रम की खरीद की है। जमीन खरीद प्रकरण में ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगे हैं।
प्रमुख विपक्षी दलों ने खरीद फरोख्त में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है तो रामनगरी सहित देश के कुछ अन्य संतों ने भी इस मामले में ट्रस्ट को घेरते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
करोड़ों रामभक्तों के मन में भी इस प्रकरण की सच्चाई जानने को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। मालूम हो कि सबसे पहले सपा नेता द्वारा कथित रूप से जमीन खरीदी में घोटाले का आरोप लगाया था, इसके बाद देश भर में ट्रस्ट के खिलाफ गुस्सा फैल गया है।
ट्रस्ट ने वेबसाइट पर यह बताया
ट्रस्ट ने रामभक्तों को पूरे प्रकरण की सच्चाई से अवगत कराने की मंशा से ही अपनी साइट पर जमीन खरीद की पूरी प्रक्रिया को अपलोड कर अपना पक्ष स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इसमें बताया गया है कि बाग बिजैशी स्थित 1.2080 हेक्टेयर भूमि 1423 रुपया प्रति स्कवायर फीट की दर से खरीदी गई है जो बाजार की खरीद दर बहुत ही कम है।
इस भूमि को लेकर 2011 से ही एग्रीमेंट की प्रक्रिया चल रही थी। ट्रस्ट इस जमीन की खरीद को लेकर उत्सुक था लेकिन पहले भूमि की मिलकियत स्पष्ट करना चाहता था, क्योंकि इस एग्रीमेंट में नौ लोग जुड़े हुए थे, जिसमें से तीन मुस्लिम थे। सभी से संपर्क कर उनकी सहमति ली गई फिर एग्रीमेंट को फाइनल किया गया। इस कार्य में पूरी पारदर्शिता बरती गयी।
ट्रस्ट ने साफ किया कि इस दौरान हुए सभी लेन देन ऑनलाइन तरीके से किए गए हैं। ट्रस्ट ने इस जमीन के लिए 17 करोड़ का भुगतान किया है। यह भी बताया गया है कि ट्रस्ट तीन-चार प्लांट मंदिर व आश्रम को मिलाकर पहले भी खरीद चुका है, और आगे भी खरीद का कार्य चलता रहेगा।
खरीद से जुड़े सभी रिकॉर्ड आनलाइन हैं। साइट पर ट्रस्ट ने बाग बिजैशी की जमीन को लेकर 2011 से अब तक हुए एग्रीमेंट का पूरा ब्यौरा भी प्रस्तुत किया है। बताया गया है कि कब-कब किससे एग्रीमेंट हुआ और किस तरह फाइनल रूप से ट्रस्ट ने जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया।
ट्रस्ट की ईमानदारी पर पूरा भरोसा
राममंदिर के लिए सबसे बड़े दानदाताओं में शुमार बिहार धर्मादा बोर्ड के न्यासी व पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने बताया कि उन्हें ट्रस्ट की ईमानदारी पर पूरा भरोसा है। वह शुक्रवार को रामजन्मभूमि परिसर गए थे और महासचिव चंपत राय व ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्र की मौजूदगी में उन्होंने राममंदिर निर्माण की प्रगति देखी। काम बहुत ही संतोषजनक व योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है।
जमीन खरीद प्रकरण में ट्रस्ट पर लग रहे आरोपों पर कहा कि मैं चंपत राय को 1990 से जानता हूं। मेरा उनके साथ तीस साल का अनुभव जुड़ा है, राममंदिर के प्रति उनकी निष्ठा पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता।
मैने जमीन खरीद से जुड़े दस्तावेज नहीं देखे हैं। इन्हें देखने के बाद ही इस मामले पर कोई टिप्पणी करूंगा। हां इतना जरूर कह सकता हूं कि चंपत राय ने राममंदिर के प्रति आजीवन निष्ठा से काम किया है।
पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने राममंदिर निर्माण के लिए पटना महावीर मंदिर की ओर से दस करोड़ देने का ऐलान किया है। वह मंदिर निर्माण के लिए सबसे पहले दो करोड़ का चेक भी ट्रस्ट को दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले पांच साल के भीतर दस करोड़ देने को कहा था लेकिन अब तीन साल के भीतर ही वह राममंदिर के लिए शेष धनराशि समर्पित कर देंगे।
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