टोक्यो पैरालिंपिक: बैडमिंटन में नोएडा के डीएम सुहास यथिराज को चांदी से करना पड़ा संतोष
पैरालिंपिक में पहली बार बैडमिंटन को शामिल किया गया है। भारत से सात खिलाड़ी चुनौती पेश करने गए थे, इनमें से 6 खिलाड़ी विभिन्न कैटेगरी के सेमीफाइनल में पहुंचे। वहीं तीन खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे। नोएडा के डीएम सुहास यथिराज, प्रमोद भगत और कृष्णा नागर अपने-अपने कैटगिरी के फाइनल में पहुंचे।
स्पोर्टस डेस्क। जापान के टोक्यो शहर में चल रहे पैरालिंपिक खेलों के महाकुंभ भारत को एक सिल्वर मेडल मिला यह मेडल बैडमिंटन खेल से मिला अब तक बैडमिंटन में तीन मेडल मिल चुके है।
बैडमिंटन में नोएडा के डीएम सुहास यथिराज ने एसएल-4 कैटगिरी के फाइनल मुकाबले में फ्रांस के खिलाड़ी लुकास मजूर से शिकस्त खा गए। फिर भी उन्होंने देश के सिल्वर मेडल अपने नाम किया। यह संघर्ष पूर्ण मुकाबला तीन सेट तक चला। सुहास ने पहला गेम 21-15 से जीता और इसके बाद दोनों गेम उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लुकास मजूर ने आखिरी दोनों गेम 21-15, 17-21 से जीता।
मालूम हो कि इससे पहले 11 वें दिन भारत के लिए बैडमिंटन में एसएल थ्री में प्रमोद भगत ने गोल्ड जीता। इस कैटगिरी में SL3मनोज सरकार ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
भारत ने 18 मेडल किए अपने नाम
आपकों बता दें कि देश के खिलाड़ियों ने टोक्यो में 17 मेडल भारत के नाम चुके हैं। अब तक 53 साल में 11 पैरालिंपिक्स में 12 मेडल आए। 1960 से पैरालिंपिक हो रहा है। भारत 1968 से पैरालिंपिक में भाग ले रहा है। वहीं 1976 और 1980 में भारत ने भाग नहीं लिया था। टोक्यो में अब तक 4 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल मिले हैं।
बैडमिंटन में 7 खिलाड़ी गए, 3 ने जीता मेडल
पैरालिंपिक में पहली बार बैडमिंटन को शामिल किया गया है। भारत से सात खिलाड़ी चुनौती पेश करने गए थे, इनमें से 6 खिलाड़ी विभिन्न कैटेगरी के सेमीफाइनल में पहुंचे। वहीं तीन खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे। नोएडा के डीएम सुहास यथिराज, प्रमोद भगत और कृष्णा नागर अपने-अपने कैटगिरी के फाइनल में पहुंचे।
प्रमोद भगत गोल्ड जीत चुके हैं, वहीं मनोज सरकार भी ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। नोएडा के डीएम सुहास को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही उन्हें सिल्वर मेडल मिला। वहीं कृष्णा नागर का फाइनल मुकाबला होना बाकी है। पलक कोहली को मिक्स्ड डब्ल्स में प्रमोद कुमार के साथ आखिरी दिन ब्रॉन्ज के लिए खेलेंगी। वहीं पारुल परमार पहले राउंड में बाहर हो गई थीं।
2007 में बने IAS अधिकारी
सुहास ने भले ही बैंगलोर में नौकरी शुरू कर ली हो, लेकिन बार-बार उनके दिल में यही मलाल रहा कि उन्होंने अपने जीवन में समाज के लिए कुछ नहीं किया तो क्या फायदा। उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। 2005 में पिता की मौत के बाद सुहास टूट गए, लेकिन फिर भी उन्होंने खुद को संभाला और मन लगाकर UPSC की तैयारी की। साल 2007 में सुहास UP कैडर से IAS अधिकारी बने।
इन जिलों में दें चुके है सेवाएं
UPSC परीक्षा पास करने के बाद सुहाष की पहली पोस्टिंग आगरा में हुई। आगरा के बाद जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़. हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने। अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद सुहास टाइम निकालकर बैडमिंडन खेलने जाया करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से बैडमिंटन खेलना शुरू किया। 2016 में सुहास ने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया।
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