बेबस मां, बेरहम कोरोना: वाराणसी के बाद अब मेरठ में जवान बेटे ने मां कदमों में तोड़ा दम

टीम भारत दीप |
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मां के चरणों में पड़ा बेटे का शव। फोटो साभार दैनिक जागरण
मां के चरणों में पड़ा बेटे का शव। फोटो साभार दैनिक जागरण

एक बेबस मां अपने बच्चे के इलाज के लिए इस अस्पातल से उस अस्पताल भटकती रही, लेकिन अपने जवान बेटे को नहीं बचा पाई। ठीक वैसे ही यह मां भी अपने जवान बेटे की जान बचाने के लिए मां के चरणों में ही इस दुनिया को छोड़ गया। जवान बेटे की मौत से मां की दुनिया उजड़ गई। बेटे की मौत होते ही मां रोने और चीखने लगी।

मेरठ। वाराणसी में हुई एक घटना ने लोगों को झकझोर कर दिया था।ठीक वैसी ही घटना उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुई। स्थिति ठीक वैसी है। वहां भी एक बेबस मां अपने बच्चे के इलाज के लिए इस अस्पातल से उस अस्पताल भटकती रही, लेकिन अपने जवान बेटे को नहीं बचा पाई।

ठीक वैसे ही यह मां भी अपने जवान बेटे की जान बचाने के लिए मां के चरणों में ही इस दुनिया को छोड़ गया। जवान बेटे की मौत से मां की दुनिया उजड़ गई।  बेटे की मौत होते ही मां रोने और चीखने लगी।

इस धरती से कोरोना की वजह से खत्म होती मानवता यहां भी दम तोड़ गई। किसी ने बेबस मां के आंसू पोछने की हिम्मत नहीं दिखाई। एक बेबस मां रोती बिलखती रही, फिर जवान बेटे का शव लेकर घर की ओर चल दी। 

कोरोना रूपी महामारी रोज दर्जनों जिंदगी को निगल रही है। संक्रमण और हो रही मौतों के आगे स्वास्थ्य अमले की व्यवस्थाएं बौनी साबित होती जा रही है। कही कोई आक्सीजन के लिए दम तोड़ है तो कहीं किसी को इलाज ही नहीं मिल पा रहा है।

मालूम हो कि आर्यनगर स्थित सवरेदय अस्पताल के सामने एक ई रिक्शा में बैठाकर मां अपने बेटे के इलाज के लिए भटक रही थी। बेटे की आक्सीजन गिरती चली गई। सप्ताहभर से इधर-उधर इलाज चलता रहा। जांच कराने गया तो भीड़ की वजह से लौट आया। भर्ती होने पहुंचा तो कोविड रिपोर्ट न होने का बहाना बनाकर लौटा दिया गया। आखिर जान चली गई। 

डाक्टरों ने फीस दोगुनी कर दी है, लेकिन देखने से हिचकते हैं। मेडिकल कालेज में तो फिर भी जिंदगी मिल रही है, लेकिन निजी अस्पतालों में मरीजों को मना करने की होड़ लगी हुई है। हर अस्पताल के सामने एंबुलेंस में कराहते मरीज, रोते परिजन और मायूस भीड़ नजर आ रही है।

अधिकारी बेशक भागदौड़ कर रहे हैं, लेकिन दिशाहीनता की वजह से कोई परिणाम नहीं निकल सका। सरकार लाख व्यवथाएं सुधरने का दावा कर रही हो, लेकिन दिन -प्रतिदिन ​हालात खराब होते जा रही है।

सरकार भले ही कोरोना से होने मौत की संख्या में कम दिखा रही है, लेकिन इसकी हकीकत श्मशान घाट और कब्रिस्तान बता रहे है। शव को जगह नहीं मिल रहा है। शव लौटाएं जा रहे है ,लोग जैसे-तैसे अंतिम संस्कार कर रहे है। 


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