सागर में अनोखी गौशाला, नंबर पुकारते ही बछड़े मां के पास पहुंच जाते हैं दूध पीने

टीम भारत दीप |

जैसे ही एक नंबर पुकरा जाएगा, वैसे ही एक नंबर की गाय अपने बाड़े  से और बच्चे अपने बाड़े से निकलकर पहुंच जाते है।
जैसे ही एक नंबर पुकरा जाएगा, वैसे ही एक नंबर की गाय अपने बाड़े से और बच्चे अपने बाड़े से निकलकर पहुंच जाते है।

इस गौशाला में लगभग तीन सौ गाय रखी गई है। इन गायों और उनके बछड़ों को अंक विद्या से परिचित कराया गया है। यह इसलिए किया गया हैं,क्योंकि अधिकांश गायों और बछड़ों का रंग अधिकांश सफेद होता है। इसलिए इन्हें किसी विशेष नाम की जगह अंक से परिचित कराया गया है।

सागर- मध्यप्रदेश। सागर के रतौना गांव में बनी गौशाला अपनी अनोखी कार्यशैली के लिए इन दिनों सुर्खियों में है। इस गौशाला में  लगभग तीन सौ गाय रखी गई है। इन गायों और उनके बछड़ों को अंक विद्या से परिचित कराया गया है।

यह इसलिए किया गया हैं,क्योंकि अधिकांश गायों और बछड़ों  का रंग अधिकांश सफेद होता है। इसलिए इन्हें किसी विशेष नाम की जगह अंक से परिचित कराया गया है। सुबह शाम जब गायों से दूध निकालने का समय होता है तो केयरटेकर द्वारा नंबर से पुकार जाता है।

जैसे ही एक नंबर पुकरा जाएगा, वैसे ही एक नंबर की गाय अपने बाड़े  से और बच्चे अपने बाड़े से निकलकर पहुंच जाते है। बच्चे अपनी मां का दूध पीने लगते है। 

गायों और बच्चों को पहचानना मुश्किल

गोकुल गांव के प्रबंधक डाॅक्टर एसके पचैरी ने बताया कि इस समय गौशाला में 300 गाय है। इनमे से अधिकांश रंग सफेद है। इनके बच्चे भी एक जैसे रंग के सफेद या काले  या लाल है। चूंकि गाय और बछड़ों को अलग-अलग बाड़े  में रखा जाता है। ऐसे में इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।

ऐसे में इनकी पहचान के लिए इनकी देखभाल करने वाले अशोक कोल ने इन्हें अंक विद्या सीखने की सोची, फिर गायों और उनके बच्चों को लगातार एक -दो, तीन-चार जैसे अंकों से रोज पुकारने लगा, फिर धीरे-गाय और बच्चे को उस अंक की समझ होने लगी।

इसके बाद जब सुबह -शाम गाय से दूध निकालने का समय होता है तो केयर टेकर अशोक बाड़े  के बाहर से नंबर पुकारता है, इसके बाद उस नंबर की गाय और उसका बच्चा अपने-टपने बाड़े  से बाहर निकल आते है। इससे उनका दूध निकालने में काफी सुविधा होती है। 

गायों के शरीर पर नंबर लिखना मुश्किल

पहचान के लिए गायों और उनके बच्चों के शरीर पर नंबर लिखना मुश्किल है। अगर कोई इंतजाम करके गाय और बच्चे के शरीर पर नंबर डाल भी दिया जाए तो दूध निकालने से पहले फला नंबर की गाय का दूध निकालने के लिए फला नंबर के बच्चे को खोजकर लाना होता है।

ऐसे में इतनी ज्यादा गायों का दूध निकालने में काफी समय लग जाता । इस असुविधा से बचने के लिए गायों और उनके बच्चों को अंक से परचित कराया गया। केयर टेकर अशोक कोल का कहना है कि रोज किसी गाय या बच्चे के सामने एक ही नंबर पुकारने से वह उस नंबर को समझने लगता है और वह पुकारने पर दूध पीने के लिए निकल देता है। 


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