संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा ध्वनि प्रदूषण में मुरादाबाद का दुनिया में दूसरा स्थान, जानिए सच्चाई

टीम भारत दीप |

औसत ध्वनि प्रदूषण दिन के समय 72.4 डेसीबल और रात के समय 61.7 डेसीबल है।
औसत ध्वनि प्रदूषण दिन के समय 72.4 डेसीबल और रात के समय 61.7 डेसीबल है।

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के तहत जारी वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट 2022 में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। इसमें मुरादाबाद को देश नहीं बल्कि दुनिया का दूसरे नंबर का ध्वनि प्रदूषण वाला शहर बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मुरादाबाद में ध्वनि प्रदूषण 114 डेसीबल है।

मुरादाबाद। पीतल नगरी मुरादाबाद अपनी कारीगरी के लिए दुनिया में जाना जाता है,लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने मुरादाबाद को लेकर जो आंकड़े पेश किए है उसने सबको चौंका दिया है। दरअसल गत दिवस ध्वनि प्रदूषण पर  संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट आई है।

इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ध्वनि प्रदूषण के मामले में मुरादाबाद दुनिया में दूसरा स्थान पर है। हालांकि यूपीपीसीबी के अधिकारियों ने आंकड़ों को नकारा है। अधिकारियों का कहना है कि यूएन की रिपोर्ट में गलत आंकड़े दर्शाए गए हैं। यूपीपीसीबी ने जारी किए आंकड़ों में दिन में 72.4 और रात में 61.9 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण दर्शाया गया है।

मालूम हो​ कि संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के तहत जारी वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट 2022 में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। इसमें मुरादाबाद को देश नहीं बल्कि दुनिया का दूसरे नंबर का ध्वनि प्रदूषण वाला शहर बताया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक मुरादाबाद में ध्वनि प्रदूषण 114 डेसीबल है। यह मानव स्वास्थ्य के लिहाज से काफी गंभीर है। हालांकि स्थानीय अधिकारियों ने इन आंकड़ों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने रिपोर्ट को गलत बताया है। क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि पिछले पांच माह का औसत ध्वनि प्रदूषण दिन के समय 72.4 डेसीबल और रात के समय 61.7 डेसीबल है।

देश के इन शहरों को भी शामिल किया है

आपकों बता दें कि यूएनईपी की फ्रंटियर 2022 रिपोर्ट में ध्वनि प्रदूषण को पर्यावरण के लिए उभरता खतरा माना गया है। रिपोर्ट में मुरादाबाद के अलावा भारत के सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों में जयपुर, कोलकाता, आसनसोल और दिल्ली को भी शामिल किया गया है।

दिल्ली में 83, जयपुर में 84, कोलकाता और आसनसोल में 89-89 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है। मालूम हो कि 70 डेसीबल से अधिक ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है। रिपोर्ट में ध्वनि प्रदूषण से प्रदूषित शहरों में दक्षिण एशिया के 13 शहर शामिल हैं, जिनमें 5 शहर अकेले भारत के हैं। रिपोर्ट में दिए गए ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े दिन के समय के यातायात अथवा वाहनों से संबंधित हैं।

मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

ईएनटी विशेषज्ञयों के अनुसार उच्च ध्वनि प्रदूषण की लंबी अवधि लोगों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय है। यूरोपियन यूनियन के कम से कम 20 प्रतिशत नागरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक शोर की जद में हैं।

रिपोर्ट में नियमित रूप से दिन में 8 घंटे 85 डेसीबल ध्वनि के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता स्थायी रूप से खत्म होने की आशंका व्यक्त की है। इतना ही नहीं, शहरों में लंबी अवधि तक अपेक्षाकृत कम ध्वनि प्रदूषण के संपर्क में रहने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप में लंबे वक्त तक ध्वनि प्रदूषण में रहने से सालाना 12,000 अकाल मृत्यु होती हैं, 48,000 हृदय रोग के नए मामले आते हैं और 2.2 करोड़ लोग चिड़चिड़ेपन से पीड़ित होते हैं। कनाडा के टोरंटो में 15 वर्ष लंबे अध्ययन में पाया गया है

यातायात के शोर ने 8 प्रतिशत लोगों में हृदयाघात, मधुमेह का खतरा बढ़ा दिया जबकि 2 प्रतिशत लोगों में हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप बढ़ा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरिया में हुआ अध्ययन बताता है कि दिन के समय ध्वनि में 1 डेसीबल की वृद्धि से कार्डियो (हृदय) और सेरेब्रोवास्कुलर (मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह से संबंधित) बीमारियों का खतरा 0.17 से 0.66 प्रतिशत बढ़ जाता है।

यह है डब्ल्यूएचओ के निर्देश

डब्ल्यूएचओ  ने 1999 के दिशा निर्देशों में रिहाइशी क्षेत्रों के लिए 55 डीबी (डेसीबल) मानक की सिफारिश की थी, जबकि यातायात व व्यवसायिक क्षेत्रों के लिए यह सीमा 70 डीबी थी। डब्ल्यूएचओ ने 2018 में स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सड़क पर ध्वनि प्रदूषण की सीमा दिन में 53 डीबी और रात में 45 डीबी निर्धारित की।

रेलवे के ध्वनि प्रदूषण की सीमा दिन में 54 डीबी और रात में 44 डीबी, एयरक्राफ्ट की दिन में 45 डीबी और रात में 40 डीबी निर्धारित की है। भारत में रिहाइशी इलाकों में दिन के समय 55 डीबी का मानक है। यानी इससे अधिक शोर ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आएगा।

इन क्षेत्रों में ज्यादा प्रदूषण

क्षेत्रीय कार्यालय उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मुरादाबाद में चार स्थानों जिला अस्पताल (शांत क्षेत्र), बुद्धि विहार (आवासीय कालोनी), बुध बाजार (वाणिज्यिक क्षेत्र) एवं लाकड़ी फाजलपुर (औद्योगिक क्षेत्र) में प्रति माह ध्वनि गुणवत्ता मापी जाती है।

अक्तूबर 2021 से फरवरी 2022 तक जिला अस्पताल की औसत ध्वनि तीव्रता दिन के समय 62.1 डीबी, रात के समय 41.9 डीबी, बुद्धि विहार में दिन के समय 64.2 डीबी, रात के समय 51.4 डीबी, बुध बाजार में दिन के समय 67.2 डीबी और रात के समय 61 डीबी, लाकड़ी फाजलपुर में दिन के समय 72.4 डीबी और रात के समय 61.7 डीबी पाई गई।

यह बोले ईएनटी विशेषज्ञ

जैसे-जैसे शहर बढ़ते हैं, ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण का प्रमुख खतरा बन जाता है। ध्वनि प्रदूषण का उच्च स्तर नींद पर असर डालकर मानव स्वास्थ्य और खुशहाली को प्रभावित करता है। लंबे समय तक यदि 114 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण बना रहा तो व्यक्तियों के बहरे होने की आशंका रहती है। ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता प्रभावित होगी और फिर मानसिक विकार भी उत्पन हो सकते हैं।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें