यूपी: सभी प्राइवेट स्कूल आरटीआई के दायरे में, अब फीस सहित देनी होगी अन्य जानकारियां
यूपी के सभी प्राइवेट स्कूल अब सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आ गए हैं। अब उन्हें आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी अनिवार्य रूप से देनी ही होगी। बताया जा रहा है कि इससे छात्रों और उनके अभिभावकों को प्राइवेट स्कूल से सूचना पाने के लिए इधर उधर भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी।
लखनऊ। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से सभी अभिभावक हलकान रहते हैं। कोरोना त्रासदी के दौरान में प्राइवेट स्कूल व अस्पताल दोनों लोगों के निशाने पर भी रहे। हालांकि सरकार ने स्कूलों को फीस बढ़ोतरी और वसूली न करने के निर्देश दिए थे। लेकिन स्कूलों की मनमानी के सामने यह निर्देश हवा हवाई साबित हुए। वहीं यूपी के सभी प्राइवेट स्कूल अब सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आ गए हैं।
अब उन्हें आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी अनिवार्य रूप से देनी ही होगी। बताया जा रहा है कि इससे छात्रों और उनके अभिभावकों को प्राइवेट स्कूल से सूचना पाने के लिए इधर उधर भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। गौरतलब है कि राज्य सूचना आयोग (SIC) ने यह आदेश एक याचिका की सुनवाई करने के बाद दिया है।
राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी के मुताबिक प्राइवेट स्कूलों में जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करने का आदेश दिया गया है। उन्होंने साफ कहा है कि गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूल आरटीआई एक्ट के दायरे में आने चाहिए। बताया गया कि इस पर काफी लंबे समय से बहस चल रही है।
बताते चलें कि संजय शर्मा की तरफ से राजधानी लखनऊ के दो नामी प्राइवेट स्कूलों के संबंध में याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग (SIC) ने मुख्य सचिव को निजी स्कूल प्रशासकों को निर्देश करने के लिए कहा कि वे आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने की सुविधा के लिए जन सूचना अधिकारी नियुक्त करें।
बता दें कि अभी तक प्राइवेट स्कूल जानकारी देने की जगह खुद को आरटीआई से बहार होने का हवाला देते थे। बताया गया कि प्राइवेट स्कूलों ने इस आधार पर जानकारी देने से मना कर रहे थे कि उन्हें राज्य से कोई मदद नहीं मिलती है और इसीलिए वे आरटीआई एक्ट के दायरे में नहीं आते।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह आदेश दिया था कि यदि किसी शहर का विकास प्राधिकरण किसी निजी स्कूल को रियायती दरों पर जमीन उपलब्ध कराता है तो स्कूल को राज्य की मदद वाला स्कूल माना जाएगा। इधर राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिला शिक्षा अधिकारी याचिकाकर्ता की तरफ से मांगी गई सभी जानकारी देने को बाध्य हैं।