मिशन 2022: सपा ने टिकट बंटवारे की यह बनाई रणनीति, 20 नवंबर के बाद आएगी पहली सूची
पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि गठबंधन में सीटों का बंटवारा तय होने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा करना बेहतर होगा। क्योंकि इस बार उम्मीदवार घोषित होने के बाद उसे बदला नहीं जाएगा। इससे लोगों में पार्टी के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा। वहीं, सूत्रों का कहना है कि सपा टिकट देने में स्थानीय उम्मीदवारों को तरजीह देगी।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी दल धीरे-धीरे अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए है। कांग्रेस के बाद सपा ने अपनी रणनीति को उजागर किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सपा अपने मौजूदा विधायकों को फिर से मैदान में उतारेगी, इसके साथ ही स्थानीय उम्मीदवारों को तरजीह दी जा रही है।
सपा ने 47 सीटों को छोड़कर बाकी सीटों के लिए आवेदन मंगाए है अभी तक 18 हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके है। अब एक—एक सीट पर पूरी जांच पड़ताल के बाद आवेदकों के वैल्यू तय
करने के बाद उम्मीदवार बनाया जाएगा।
20 नवंबर के बाद आएगी सूची
अन्दर खाने से आ रही सूचना के आधार पर बता दें कि पार्टी में विधानसभा उम्मीदवारों के नाम 20 नवंबर के बाद तय होंगे। फिलहाल सर्वे व विभिन्न स्तरों से मिले फीडबैक व जातीय गणित के आधार पर दावेदारों की टॉप 10 सूची तैयार की जा रही है।
पहले चरण में 30 विधायकों समेत लगभग 100 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया जाएगा। इससे पहले गठबंधन की गणित सुलझाई जाएगी। आपकों बता दें कि पिछले चुनाव में सपा के 48 प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी, जिसमें एक विधायक ने भाजपा का दामन थाम लिया था।
इस तरह कुल 47 विधायकों के नाम लगभग तय माने जा रहे है। पूर्वांचल की 15 सीटों पर 60 से 80 आवेदन मिले हैं। इनके अलावा पार्टी ज्वाइन करने वाले भी आवेदन कर रहे हैं। अब तक करीब 18 हजार आवेदन मिल चुके हैं। इसमें करीब पांच हजार आवेदन महिलाओं के हैं।
टिकट के लिए आवेदकों द्वारा जमा किए गए शुल्क का मिलान किया जा चुका है। विधानसभा क्षेत्रवार आवेदकों की सूची के आधार पर टॉप 10 सूची बनाने के लिए पार्टी हाईकमान ने मानक तय किए गए हैं। वहीं जहां कम दावेदार हैं वहां टॉप तीन की सूची बनेगी। इसमें क्षेत्र में पकड़ रखने वाले, स्वच्छ छवि, बेहतरीन शैक्षिक व सियासी कैरियर वालों को तरजीह दी जाएगी।
पार्टी ने यह मानक किए तय
टिकट के दावोदारों के लिए सपा ने कुछ मामन तय किए है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है तो कुछ का चुनाव क्षेत्र बदला जा सकता है। इनमें वे विधायक होंगे, जिन्होंने किसी न किसी रूप में सपा की छवि प्रभावित किया है या उन पर दगाबाजी का आरोप लगा है।
वहीं पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि गठबंधन में सीटों का बंटवारा तय होने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा करना बेहतर होगा। क्योंकि इस बार उम्मीदवार घोषित होने के बाद उसे बदला नहीं जाएगा। इससे लोगों में पार्टी के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा।
वहीं, सूत्रों का कहना है कि सपा टिकट देने में स्थानीय उम्मीदवारों को तरजीह देगी। उम्मीदवार का विधानसभा क्षेत्र भले बदल जाए, लेकिन किसी जिले के नेता को दूसरे जिले की विधानसभा सीट पर उतारने से बचा जाएगा।
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