बदल सकता है यूपी बोर्ड परीक्षा का कार्यक्रम, मुख्यमंत्री की मंजूरी का इंतजार
अपडेट हुआ है:
मुख्यमंत्री की सहमति मिलते ही बोर्ड संशोधित परीक्षा कार्यक्रम जारी कर देगा। मालूम हो कि बोर्ड परीक्षा पहले 24 अप्रैल से 12 मई तक प्रस्तावित थी, लेकिन पंचायत चुनाव टलने के कारण इसके टलने की स्थिति पैदा हो गई है। बोर्ड की मंशा है कि बोर्ड परीक्षा मई में कराकर जून के अंत तक परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।
आगरा। यूपी बोर्ड की परीक्षा टल सकती है, ऐसी स्थिति बनती हुई नजर आ रही है। पंचायत चुनाव 24 अप्रैल से होने है, इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है।
उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2021 के लिए मुश्किल खड़ी कर दी हैं। हालांकि बोर्ड ने औपचारिक रूप से परीक्षा कार्यक्रम नहीं बदला है, लेकिन इसके आठ मई से कराने पर तेजी से मंथन चल रहा है।
मालूम हो कि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने परीक्षा टालने और उन्हें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के साथ आठ मई से कराने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास स्वीकृति के लिए भेजा है।
मुख्यमंत्री की सहमति मिलते ही बोर्ड संशोधित परीक्षा कार्यक्रम जारी कर देगा। मालूम हो कि बोर्ड परीक्षा पहले 24 अप्रैल से 12 मई तक प्रस्तावित थी, लेकिन पंचायत चुनाव टलने के कारण इसके टलने की स्थिति पैदा हो गई है।
बोर्ड की मंशा है कि बोर्ड परीक्षा मई में कराकर जून के अंत तक परिणाम घोषित कर दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों को परेशानी न हों। हालांकि परीक्षा केंद्र जैसी तैयारियां पहले से पूरी हैं।
परीक्षा का समय बदलने की मांग
अब जब बोर्ड परीक्षा मई के महीने में होती दिख रही है तो शिक्षक संगठन और प्रधानाचार्य परिषद ने सभी परीक्षा पहली पाली में कराने की मांग उठाना शुरू कर दिया है। उप्र प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश महामंत्री डॉ. रामलखन यादव ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर यह मांग उठाई है।
उनका कहना है कि अप्रैल में परीक्षा शुरू होकर 15 से 17 में संपन्न हो जाती, तो ज्यादा दिक्कत नहीं होती, लेकिन अब मई की भरी गर्मी में परीक्षा होगी और केंद्रों पर सुविधाओं का अभाव है, ऐसे में परीक्षा को सुबह की पाली में कराना विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के लिहाज से बेहतर होगा।
आरबीएस इंटर कालेज के प्रधानाचार्य और प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. यतेंद्र पाल सिंह का कहना है कि परीक्षा मई में होने से विद्यार्थियों, शिक्षकों व केंद्र व्यवस्थापकों को काफी दिक्कत होगी।
कई केंद्रों में सुविधाएं भी नहीं होगी, इसलिए परीक्षा सुबह की पाली में कराना ही बेहतर होगा। क्योंकि उस समय गर्मी अधिक होगी ऐसे में परीक्षा देना और लेना दोनों मुश्किल हो जाएगा।