यूपी चुनाव: मायावती ने ट्वीट कर कहा- विरोधी हताश होकर हिंसा पर उतरे, योगी बोले- बनेगा रिकॉर्ड
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छठे चरण में मुख्यमंत्री सहित उनके 5 मंत्री, भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत 676 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसकी किस्मत का फैसला 2.15 करोड़ वोटर्स करेंगे।
लखनऊ। यूपी विधानसभा में आज सुबह सात बजे से मतदान जारी है।इसी के साथ ही नेताओं द्वारा जुबानी हमले का सिलसिला भी जारी है। सुबह योगी ने मत डालने के बाद बोले- इस बार यूपी में बीजेपी की रिकार्ड की मतों से सरकार बनेगी।
छठे चरण में पूर्वांचल के 10 जिलों की 57 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर रोड स्थित स्कूल की लाइन में लगकर वोट डाले। मतदान से पहले उन्होंने गोरखनाथ मंदिर मे पूजा की। इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा कि सत्ता पक्ष हताश होकर अब हिंसा पर उतर आया है।
वहीं सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर ने परिवार सहित मतदान किया। उन्होंने गोरखपुर मंडल की 18 सीटों पर जीत का दावा किया।
मुख्यमंत्री समेत पांच मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
छठे चरण में मुख्यमंत्री सहित उनके 5 मंत्री, भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत 676 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसकी किस्मत का फैसला 2.15 करोड़ वोटर्स करेंगे।
2017 में भाजपा ने 46 सीटें जीती थीं
छठे चरण की लड़ाई काफी दिलचस्प है। इसके तीन कारण हैं। पहला, अब कुल 111 सीटें बची हैं, जिन पर वोटिंग होनी हैं। यानी जो जितनी ज्यादा सीटें जीत लेगा, लखनऊ तक पहुंच उतनी ही पक्की। ऐसे में सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है।
इसके साथ ही 18 साल बाद पहली बार कोई मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। गोरखपुर शहर सीट से योगी खुद मैदान में हैं। इससे पहले मुलायम सिंह ने सीएम रहते हुए चुनाव लड़ा था। तीसरा, इस फेज में जिन जिलों में वोटिंग हैं, उनमें अंबेडकरनगर को छोड़कर बाकी जिले योगी के प्रभाव वाले क्षेत्र माने जाते हैं। यानी महंत योगी की गोरखपुर में सीएम योगी का अपने गढ़ में इम्तिहान है।
2017 के चुनाव में इन 57 सीटों में से भाजपा ने 46 जीती थीं। तब योगी सीएम पद का चेहरा नहीं थे? वे विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ रहे थे। ऐसे में यह फेज न सिर्फ सीएम योगी की प्रतिष्ठा, बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है।
जातीय गोलबंदी का चक्रव्यूह
पूर्वांचल की ये सीटें जातीय गोलबंदी का ऐसा चक्रव्यूह हैं, जिसे भेद पाना आसान नहीं है। यहां सुभासपा, निषाद दल, अपना दल (एस), अपना दल (कमेरावादी), पीस पार्टी जैसे छोटे-छोटे दल हैं, जो भाजपा-सपा का हाथ पकड़े हैं। यह दल अपनी जातियों का वोट दिलवाने का दावा कर रहे हैं। छठवें चरण में दलित, ओबीसी और ब्राह्मण वोटर निर्णायक हैं।
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