यूपी:भले ही ऑक्सीजन न मिले पर शराब हाजिर है ज़नाब! जुटी भीड़, टूटा कोरोना प्रोटोकॉल, बढ़ी चिन्ताएं

टीम भारत दीप |

योगी सरकार ने सूबे में शराब की दुकानों को खोलने को लेकर फैसला डीएम पर छोड़ दिया था।
योगी सरकार ने सूबे में शराब की दुकानों को खोलने को लेकर फैसला डीएम पर छोड़ दिया था।

सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ कोरोना को लेकर लगातार मीटिंग में व्यस्त हैं तो वहीं जिले के डीएम शराब की दुकानों को खुलवाने में जुटे है। इस बीच यहां कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ रही धज्जियां चिन्ता बढ़ाने वाली है। जानकारी के मुताबिक सूबे की राजधानी लखनऊ में अभी शराब की दुकानें बंद हैं, लेकिन ज्यादातर जिलों में दुकानें खुली हैं।

लखनऊ। यूपी में कोरोना को लेकर मचे हाहाकार के बीच भले ही ऑक्सीजन मिलने में खासा दिक्कत आ रही हो, लेकिन यहां शाराब आसानी से हाजिर हो जाएगी। दरअसल इस त्रासदी के मौजूदा दौर में जहां सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ कोरोना को लेकर लगातार मीटिंग में व्यस्त हैं तो वहीं जिले के डीएम शराब की दुकानों को खुलवाने में जुटे है।

इस बीच यहां कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ रही धज्जियां चिन्ता बढ़ाने वाली है। जानकारी के मुताबिक सूबे की राजधानी लखनऊ में अभी शराब की दुकानें बंद हैं, लेकिन ज्यादातर जिलों में दुकानें खुली हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में चल रही खबरों के अनुसार इन दुकानों पर उमड़ी भीड़ कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रही है। बताया गया कि लोग झोला भर-भरकर शराब खरीद रहे हैं।

ऐसे में संक्रमण के फैलाव को लेकर चिन्ताएं बढ़ गई है। यह स्थिति तब है, जब सूबे में जहरीली शराब पीने से अम्बेडकरनगर, आजमगढ़ और बदायूं में 24 लोगों की मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि शराब विक्रेता वेलफेयर एसोसिएशन ने बीते दिनों सरकार से कोरोना कर्फ्यू के कारण बंद पड़ी दुकानों को खोलने की मांग उठाई थी।

बताया गया कि दुकानें बंद होने से कई जिलों में जहरीली शराब की तस्करी भी बढ़ गई थी। इधर कई जिलों के डीएम के पास शराब की दुकान खोलने के लिए आबकारी विभाग की चिट्‌ठी भी पहुंच गई थी। जिसके बाद योगी सरकार ने सूबे में शराब की दुकानों को खोलने को लेकर फैसला डीएम पर छोड़ दिया था। वहीं माना जा रहा है कि राजस्व के नुकसान से बचने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेरठ की सड़कों पर ऐसा लगने लगा है कि शराब के ठेकों ने कोरोना संक्रमण के कहर को पीछे छोड़ दिया है। बताया गया कि शराब के ठेके खुले तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां 2 गज की सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर दो इंच का फासला भी नजर नहीं देखने को मिला। बताया गया कि लोग बैग और झोलों में शराब की बोतलें भरकर ले जाते भी नजर आए।

इतना ही नहीं, दिल्ली रोड स्थित शराब के ठेके पर तो दो पुलिसकर्मी वर्दी पहने चार-पांच बोतल खरीदते दिखे। उधर झांसी में भी कुछ तरह के हालात नजर आए। बताया गया कि यहां डीएम ने शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है। जिसके बाद से तय समय से पहले ही दुकानों के बाहर शौकीनों की कतारें भी नजर आने लगीं। बताया गया कि जिले में देसी-विदेशी शराब और बीयर की 374 दुकानें हैं।

कोरोना कर्फ्यू के चलते इन सभी दुकानों के शटर बंद हो गए थे। इस दौरान शराब की कालाबाजारी भी जोरों पर चली तथा नकली शराब के कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जबकि, कच्ची शराब का धंधा भी जोर पकड़ रहा था। इसी क्रम में बदायूं में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देसी शराब का क्वार्टर 140 रुपए में देने की बात कहता एक व्यक्ति नजर आ रहा है।

यह वीडियो उसावां थाना क्षेत्र की पुलिस चौकी हडौरा के पास के ठेके के करीब का बताया जाता है। बताया गया कि यहां से हड़ौरा पुलिस चौकी की दूरी मात्र कुछ कदम दूर है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जहां सरकार ने लाॅकडाउन में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। इधर शराब माफिया खुलेआम सड़क किनारे मोटरसाइकिल से शराब कैसे बेच पा रहा है।

जिले में हाल ही में जहरीली शराब से 4 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह से बताया गया कि बहराइच में लगातार बंदी के बीच मंगलवार को शराब की दुकान खुलने से एकाएक भीड़ उमड़ पड़ी। बताया गया कि लोग सुबह से ही दुकानों पर जम गए।

बहुत से लोग पूरे हफ्ते के लिए शराब खरीद ले गए। सुल्तानपुर में शराब बिक्री के नाम पर दबंग दुकानदार मनमानी वसूली कर रहे हैं। अधिकतर शराब की दुकानों पर भीड़ लगी रही। लेकिन जिला प्रशासन मौन है। बताया गया कि जिले के कई क्षेत्रों में अंग्रेजी व देशी शराब की बिक्री अधिक दामों पर की जा रही है। दुकानदार प्रिंट रेट से दोगुना पर शराब बेच रहे हैं।

गौरतलब है कि सूबे में लिकर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत मांगी थी। बताया गया था कि बंदी के कारण रोजाना 100 करोड़ का नुकसान हो रहा है। उनके मुताबिक कोरोना कर्फ्यू की गाइडलाइन में भी दुकानों के बंद करने का कोई जिक्र नहीं है। बताया गया कि सरकार ने 2021-22 में आबकारी से 34,500 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य रखा है।

इसके लिए इस बरस आबकारी नीति में भी बदलाव किया गया है। 2020-21 में अनुमानित राजस्व 28,340 करोड़ रुपये के मुकाबले, 2021-22 के लिए अपेक्षित राजस्व 34,500 करोड़ रुपये है। सरकार को दिए प्रस्ताव में आबकारी विभाग के मुताबिक अप्रैल से शुरू हुए नए सत्र में शराब की बिक्री रुकने से हर महीने करीब 29 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान होने का अंदेशा जताया गया था।

साथ ही कहा गया कि इससे प्रदेश आर्थिक संकट पैदा हो सकता है। वहीं इस भारी भरकम आमदनी के लिए सरकार ने संक्रमण के फैलाव को नजरअंदाज करते हुए शराब की बिक्री का आदेश जारी कर दिया। ऐसे में अब कोरोना को लेकर लोगों की चिन्ताएं बढ़ने लगी है।
 


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