यूपी विधान परिषद चुनाव : सियासी दलों की जोरआज़माइश तेज़, कुनबा बढ़ाने की तैयारी में भाजपा,सपा ने बनाया ये प्लान
यहां 11 सीटों पर हो रहे चुनाव को लेकर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) में माना जा रहा है। हालांकि विधायकों की संख्या अधिक होने का लाभ इस चुनाव में भाजपा को मिलना तय है। वहीं मुख्य विपक्षी दल सपा इसमें सेंधमारी की पूरी तैयारी में है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव को लेकर सियासी दलों की जोरआज़माइश तेज हो गयी है। यहां 11 सीटों पर हो रहे चुनाव को लेकर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) में माना जा रहा है। हालांकि विधायकों की संख्या अधिक होने का लाभ इस चुनाव में भाजपा को मिलना तय है।
वहीं मुख्य विपक्षी दल सपा इसमें सेंधमारी की पूरी तैयारी में है। विधान परिषद की इन 11 सीटों पर 1 दिसम्बर को वोटिंग तथा वोटिंग की गिनती 3 दिसम्बर को होगी। अभी तक विधान परिषद की 11 सीटों में से छह शिक्षक तथा पांच स्नातक कोटे से हैं। इनमें से दो भाजपा, दो सपा, चार शिक्षक संघ शर्मा गुट तथा तीन अन्य के कब्जे में थीं।
बताते चलें कि 2014 में स्नातक कोटे की पांच सीटों में आगरा सपा, वाराणसी व इलाहाबाद-झांसी भाजपा, मेरठ शिक्षक संघ शर्मा गुट और लखनऊ निर्दलीय के कब्जे में थी। भाजपा के लिए विधान परिषद की 11 सीटों (स्नातक व शिक्षक क्षेत्र) पर होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। उसे लग रहा है कि इस चुनाव के बहाने वह उच्च सदन में अपनी ताकत को और बढ़ा सकती है।
जिन विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें डाॅ. असीम यादव, संजय कुमार मिश्र, केदारनाथ सिंह, डॉ. यज्ञदत्त शर्मा, ओमप्रकाश शर्मा, जगवीर किशोर जैन, कुमार त्रिपाठी, हेमसिंह पुण्डीर, चेतनारायण सिंह,उमेश द्विवेदी, तथा कांति सिंह के नाम शामिल है। वहीं शिक्षक संघ के उमेश द्विवेदी पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
वित्तविहीन संघ के उमेश द्विवेदी को लखनऊ शिक्षक क्षेत्र से उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने अपने हक में दांव खेला है। हालांकि चुनाव में अब कम ही समय बचा है, यही कारण है कि भाजपा अब मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क साधने की रणनीति को अंजाम देने की कोषिष में है। इसके लिए स्थानीय विधायकों व मंत्रियों को मैदान में उतारने की तैयारी शुरु कर दी है। इतना ही नहीं इसके अलावा प्रभारी मंत्रियों को भी इस काम को अंजाम देने को कहा गया है।
भाजपा ने लखनऊ स्नातक व शिक्षक सीट पर पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को सौंप चुकी है। उनकी अगुवाई में बनाई गई टीम में विधायक बंबालाल दिवाकर, डा. नीरज बोरा की टीम बनी है जिसमें लखनऊ कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष दिनेश तिवारी भी शामिल हैं। वाराणसी की टीम में मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल, विधायक भूपेश चैबे ,लक्ष्मण आचार्य के अलावा रामप्रकाश दुबे हैं।
आगरा शिक्षक सीट की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी और विधायक अनिल पराशर की है। आगरा स्नातक सीट की जिम्मेदारी विधायक रामप्रताप चैहान को प्रयागराज-झांसी सीट की जिम्मेदारी एमएलसी अरुण पाठक व प्रदेश मंत्री अशोक जाटव को, बरेली-मुरादाबाद सीट की जिम्मेदारी विधायक रितेश गुप्त,एमएलसी जयपाल व्यस्त के साथ गोपाल अंजान और ब्रज बहादुर उपाध्याय को, मेरठ शिक्षक सीट की जिम्मेदारी विधायक संजय शर्मा के साथ अनिल अग्रवाल व अमित अग्रवाल को सौंपी गई है।
मेरठ स्नातक सीट पर फिलहाल बृजेश सिंह के साथ विमल शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं दूसरी ओर सपा ने भी अपनी रणनीति को अंजाम देना शरू कर दिया है। इसके अलावा अन्य सियासी दलों ने भी विधान परिषद चुनाव को लेकर जोरआज़माइश तेज कर दी है।