मानव संपदा और दीक्षा एप को लिंक कर लिया है तो बेसिक शिक्षा विभाग की आगे प्लानिंग जानें
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दीक्षा एप राष्ट्रीय सूचना केंद्र यानी एनआईसी द्वारा विकसित एक प्लेटफार्म है, जिस पर आॅनलाइन स्टडी मैटीरियल उपलब्ध रहता है। आसान भाषा में कहें तो दीक्षा भारत सरकार द्वारा स्कूल के बच्चों के लिए विकसित आॅनलाइन स्टडी प्लेटफार्म है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के समस्त विवरण को आॅनलाइन कर रहा है। यूपी सरकार द्वारा विकसित मानव संपदा पोर्टल पर कर्मचारियों के सेवा विवरण से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध रहेंगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए शिक्षकों के मानव संपदा अकाउंट को दीक्षा एप से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
दीक्षा एप राष्ट्रीय सूचना केंद्र यानी एनआईसी द्वारा विकसित एक प्लेटफार्म है, जिस पर आॅनलाइन स्टडी मैटीरियल उपलब्ध रहता है। आसान भाषा में कहें तो दीक्षा भारत सरकार द्वारा स्कूल के बच्चों के लिए विकसित आॅनलाइन स्टडी प्लेटफार्म है।
इसमें स्टडी मैटीरियल के साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित सामग्री भी उपलब्ध है। ऐसे में कोरोना संकट के बाद उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग की योजना शिक्षकों के सारे प्रशिक्षण आॅनलाइन कराने की है। इसीलिए शिक्षकों के मानव संपदा अकाउंट को दीक्षा एप से लिंक कराया जा रहा है।
लेकिन, कहानी सिर्फ इतनी नहीं है। यूपी की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की ओर से गुरूवार को जारी आदेश में इस लिंकिंग की लांग टर्म प्लानिंग को विस्तार से बताया है। ऐसे में यूपी के बेसिक शिक्षकों के लिए जानना जरूरी है कि-
1- सबसे पहले अपने मानव संपदा आईडी से दीक्षा एप पर लाॅगिन करें और अपने दोनों अकाउंट को लिंक कर लें।
2- यह बात अच्छी तरह स्वीकार कर लें कि आगे से आप के सभी प्रशिक्षण आॅनलाइन दीक्षा एप के माध्यम से ही होंगे। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद समय-समय पर कार्यक्रम जारी किया करेगा।
3- सिर्फ प्रशिक्षण ही नहीं प्रशिक्षण के आधार पर आपका मूल्यांकन भी होगा और खासकर प्रधानाध्यापकों के लिए तो स्कूल लीडरशिप कोर्स को करना अनिवार्य ही है। आपके सारे मूल्यांकन आपकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट के रूप में दर्ज किए जाएंगे।
4- प्रशिक्षण पूरा करने पर शिक्षकों को ई-सर्टिफिकेट भी मिलेगा और एक ई-लर्निंग पासबुक होगी जिसमें आपके सभी प्रशिक्षणों का रिकार्ड रखा जाएगा।
5- आपके प्रशिक्षण की निगरानी जिला स्तर पर भी होगी जहां अकादमिक रिसोर्स पर्सन यानी एआरपी सदस्य आपकी मदद करेंगे।